शहर से 20 किमी की दूरी पर मिला पीले पलाश का दुर्लभ पेड़

Yellow tree rare tree found at a distance of 20 km from the city
शहर से 20 किमी की दूरी पर मिला पीले पलाश का दुर्लभ पेड़
शहर से 20 किमी की दूरी पर मिला पीले पलाश का दुर्लभ पेड़

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पर्यावरण को बचाने सरकार ही नहीं कई पर्यावरणविद और सामाजिक संस्थाएं भई जुटी हुई हैं। शहर में कई ऐसे व्यक्ति हैं, जो समाज कार्य के अलावा पर्यावरण बचाने में भी अपना योगदान दे रहे हैं। ऐसे ही स्टेट बैंक राजनगर से रिटायर्ड सतीश घाणेकर हैं, जो दुलर्भ पेड़ों को बचाने की मुहिम चला रहे हैं। उन्हें शहर से 20 किमी दूर हिंगना के पास सीमेंट मिक्सिंग प्लांट के सामने पीले पलाश का पेड़ मिला है, जो बहुत कम देखने को मिलता है। आमतौर पर लोगों ने लाल पलाश ही देखा है। पीला पलाश विलुप्तता की कगार पर है, इसलिए जल्दी दिखाई नहीं देता। घाणेकर का कहना है कि रिटायर्ड होने के बाद समाज के लिए कुछ न कुछ कार्य करना चाहिए, इसलिए मैंने पर्यावरण को बचाने के बारे में सोचा। जब मुझे पीला पलाश मिला, तो मैंने उसे आम लोगों तक पहुंचाने के बारे में सोचा, ताकि सभी इस पीले पलाश को देख सकें। 

रंग और पत्तल  भी बनते हैं
पीला पलाश रंग बनाने के काम तो आता ही है, साथ ही इससे दोने और पत्तल भी बनाए जा सकते हैं। होली के समय लाल पलाश से रंग बनाया जाता है, इसी तरह पीला पलाश से भी रंग बनाया जा सकता है। कुछ कृषि विद्यापीठ और वन विभाग पलाश पर शोध भी कर रहे हैं। वैसे पलाश आमतौर पर फागुन के महीने में भी खिलता है। फागुन में ही होली रहती है इसलिए पहले से ही पलाश का उपयोग रंग बनाने के लिए किया जाता रहा है। 

आने वाली पीढ़ी को रहे जानकारी
घाणेकर ने बताया कि बहुत सारी प्राचीन चीजें खत्म हो गई हैं। हम अगली पीढ़ी को बस उसकी बातें बता सकते हैं। वे उन चीजों का अस्वाद नहीं ले पाएंगे, इसलिए हमें इन चीजों को बचाकर रखना है।पलाश मुख्यत: लाल और केशरी रंग का होता है। पीला पलाश अब दुर्लभ हो गया है। शहर तथा उसके आसपास घाणेकर ने करीब 10 पीले पलास को खोजा है। 

Created On :   14 March 2018 2:25 PM IST

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