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कहीं आपका दूध मिलावटी तो नहीं ?

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बड़ी-बड़ी कंपनियां दूध के नाम पर जहर बेचने का काम कर रही हैं। यह कहना है भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलुवालिया का। देश में 56 करोड़ लीटर दूध की रोजाना खपत है, लेकिन उत्पादन 14 करोड़ लीटर ही है। ऐसे में कंपनियां मिलावटी दूध के जरिए जरूरत को पूरा कर रही हैं।
मिलावटी दूध से सबसे ज्यादा कैंसर होने का खतरा मंडरा रहा है। दूध के मानक तय नहीं होने से मिलावट रोकने में परेशानी होती है। फूड सेफ्टी अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दूध के मानक तय करना चाहिए। रवि भवन में मीडिया से बातचीत में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलुवालिया ने कहा कि दूध कंपनी के पास खरीदी-बिक्री का रिकार्ड होना चाहिए, ताकि मिलावट का भंडाफोड़ हो सके। दूध के पैकेट पर प्राकृतिक और कृत्रिम दूध का उल्लेख होना चाहिए।
... तो किसान नहीं करेगा खुदकुशी
विदर्भ में दुग्ध व्यवसाय के लिए उपयोगी क्षेत्र है, लेकिन यहां कम दूध देने वाले पशुओं की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि गाय के दूध को 30 रुपए और भैंस के दूध को 35 रुपए प्रति लीटर दाम मिलना चाहिए। खेती को पूरक व्यवसाय के रूप में दूध व्यवसाय अपनाने से किसानों के हाथ में पैसा रहेगा। इसका उपयोग खेती के लिए होने से किसानों को आर्थिक सहयोग मिलने पर किसान खुदकुशी नहीं करेगा।
लेदर इंडस्ट्री से पशु हत्या को बढ़ावा
पशु क्रूरता पर भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलुवालिया ने कहा कि लेदर इंडस्ट्री से पशु हत्या को बढ़ावा मिल रहा है। पशु के मांस से जितनी रकम नहीं मिलती, उससे अधिक रकम चमड़ी बेचने पर मिलती है, इसलिए पशु हत्या बढ़ रही है। पशु क्रूरता रोकने के लिए पशु क्रूरता व मोटर संशोधन एक्ट बनाया गया है, परंतु विदर्भ में इसका पालन नहीं हो पा रहा है। मोटर संशोधन एक्ट के अमल के लिए राज्य सरकार चेकपोस्ट बनाए।
Created On :   6 July 2017 3:46 PM IST