मेट्रो में नौकरी पाने रोज पहुंच रहे युवा, लौट रहे निराश

youth are waiting for get job in nagpur metro
मेट्रो में नौकरी पाने रोज पहुंच रहे युवा, लौट रहे निराश
मेट्रो में नौकरी पाने रोज पहुंच रहे युवा, लौट रहे निराश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेट्रो परियोजना का काम तेजी के साथ किया जा रहा है। जैसे-जैसे परियोजना अपना आकार लेते जा रही है, लोगों की उत्सुकता बढ़ती जा रही है। मेट्रो परियोजना में स्थानीय लोगों को रोजगार देने की जिम्मेदारियों का अहसास हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने ट्रायल रन के उद्घाटन के अवसर मेट्रो प्रबंधन को कराया था। लिहाजा, यहां लगभग रोज रोजगार की तलाश में सैकड़ों युवा पहुंच रहे हैं। रोजगार तलाशनेवाले इन युवाओं को  मेट्रो की अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करने की सलाह दी जा रही है।
 एलआईसी चौक स्थित मेट्रो सूचना केंद्र या पटवर्धन मैदान से लोग बैंरग ही वापस लौट रहे हैं, क्योंकि यहां न तो उन्हें सटीक जानकारी ही मिल पा रही है और न ही परियोजना संबंधी परियोजना का ब्रोशर ही वितरित किया जा रहा है। ब्रोशर स्टैंड में रखे गए ब्रोशर को पढ़कर वापस रखने के िलए मांग लिया जाता है। सूचना केंद्र में उपलब्ध तीन में से केवल माझी मेट्रो-ट्रांस्फॉर्मिंग नागपुरवाला  ब्रोशर ही उपलब्ध किया जा रहा है। वहीं सहयोग केंद्र में उपलब्ध 6 विभिन्न प्रकार के ब्रोशरों में एक भी ब्रोशर स्टॉक खत्म होने के कारण नहीं दिया जा रहा है। 

प्रशिक्षण का अभाव
अंग्रेजी भाषा के ब्रोशर अगर कोई समझ ना पाए और परियोजना संबंधी जानकारी इन केंद्रों में उपलब्ध कर्मियों से लेना चाहे तो उन्हें भी परियोजना से संबंधी पूरी जानकारी नहीं। बिना उचित प्रशीक्षण और जानकारी के साथ कर्मचारियों को केंद्रों में बैठाया जाना नागरिकों के परियोजना से जुड़ी जानकारियों को भ्रमित करने से कम नहीं। सूचना केंद्र में कर्मियों को रोलिंग स्टॉक की जानकारी न होना प्रशिक्षण की कमियों को उजागर करता है।

रख-रखाव की उपेक्षा 
केवल यही नहीं एलआईसी स्थित सूचना केंद्र जिसे मेट्रो के मॉडल रोलिंग स्टॉक की तरह बनाया गया है, उसके रख-रखाव की उपेक्षा दिखाई दे जाती है। इसके बाहर लगे स्टीकर उधड़े हुए दिखाई दिए। वहीं उसकी छत तड़की हुई नजर आई।

...और यहां कबाड़ जैसी स्थिति
मेट्रो स्टेशनों में बाइसिकल शेल्टर यूनिट उपलब्ध कराने की भी योजना है। लेकिन यह बाइसिकल यूनिट शुरू होने से पहले ही कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। जाहिर है इनके उपयोग की जानकारी उपलब्ध कराने में किसी की रुचि पैदा होना कठिन है।
 

Created On :   23 Oct 2017 5:46 PM IST

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