Panna News: मशीनों के सहारे पंचायतों में विकास का पलींता, तिघरा बुजुर्ग में मनरेगा योजना का उल्लंघन

मशीनों के सहारे पंचायतों में विकास का पलींता, तिघरा बुजुर्ग में मनरेगा योजना का उल्लंघन
  • मशीनों के सहारे पंचायतों में विकास का पलींता
  • तिघरा बुजुर्ग में मनरेगा योजना का उल्लंघन

Panna News: जिले की पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर सरकारी योजनाओं की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मनरेगा और अन्य सरकारी मदों से आवंटित लाखों रुपयों का इस्तेमाल जमीनी स्तर पर काम करने की बजाय कागजी खानापूर्ति और मशीनों के जरिए किया जा रहा है। इस अनियमितता के चलते न केवल स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार से वंचित किया जा रहा है बल्कि सरकारी खजाने का भी जमकर दुरुपयोग हो रहा है। ताजा मामला गुनौर जनपद की ग्राम पंचायत तिघरा बुजुर्ग में सामने आया है जहां मेड़बंधान और तालाब निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य जेसीबी मशीनों से कराए जा रहे हैं। जबकि सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि इन योजनाओं के तहत स्थानीय मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जाए। जब मीडिया टीम ने मौके पर पड़ताल की तो खेतों के किनारे मेड़बंधान का कार्य मशीनों द्वारा बेधडक़ किया जा रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में अधिकांश विकास कार्य इसी तरह मशीनों से ही संपन्न कराए जाते हैं। तालाब निर्माण से लेकर नाली निर्माण तक हर जगह मजदूरों की जगह जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्रॉली ही नजर आते हैं। इस संबंध में जब पंचायत के जिम्मेदार सचिव घनश्यामदास लखेरा और रोजगार सहायक छुट्टू प्रसाद चौधरी से संपर्क किया गया तो वह कोई भी संतोषजनक जवाब देने से कतराते दिखे और सारा ठीकरा सरपंच पर फोड़ दिया।

वहीं सरपंच सविता बागरी से बात करने की कोशिश करने पर उनके पति सामने आए जो स्वयं पंचायत के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सरपंच पति का अजीबोगरीब तर्क था कि गांव में मजदूर ही उपलब्ध नहीं हैं इसलिए मशीनों से काम कराना उनकी मजबूरी है। उन्होंने यह भी दावा किया कि जो भी काम हो रहे हैं वह ग्रामीणों द्वारा स्वयं कराए जा रहे हैं और पंचायत केवल भुगतान करती है। सरपंच पति का यह विरोधाभासी बयान पंचायती राज व्यवस्था की मूल भावना के विपरीत है। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि पंचायत में बड़े पैमाने पर फर्जी मस्टर रोल के जरिए सरकारी धन निकाला जा रहा है और मनमानी की जा रही है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह सब कुछ संबंधित अधिकारियों की नाक के नीचे हो रहा है लेकिन किसी भी स्तर पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है जिसके कारण वह निर्भीक होकर पंचायत की योजनाओं को अपनी निजी आय का स्त्रोत बना रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों से शिकायत की है लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। बल्कि शिकायत करने वालों को पंचायत में परेशान किया जाता है। यह स्थिति दर्शाती है कि तिघरा बुजुर्ग पंचायत में भ्रष्टाचार और मनमानी चरम पर है व सरकार की कल्याणकारी योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रह गई हैं। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना में स्पष्ट रूप से श्रमिकों द्वारा कार्य कराने का प्रावधान है और मशीनों के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध है। लेकिन तिघरा बुजुर्ग जैसी पंचायतों में नियमों को ताक पर रखकर सरकारी योजनाओं का मजाक उड़ाया जा रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस गंभीर मामले पर वरिष्ठ अधिकारी कब और कैसे कार्रवाई करते हैं या यह मामला भी अन्य अनियमितताओं की तरह फाइलों में दबकर रह जाता है।

इनका कहना है

मेढ बंधान का कार्य मशीनों से नहीं मजदूरों के माध्यम से कराया जाना चाहिए यदि ऐसा हो रहा है तो उसका भुगतान नहीं किया जाएगा इसकी जांच कराई जाएगी।

उमराव सिंह मरावी

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत पन्ना

Created On :   7 May 2025 1:29 PM IST

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