Panna News: कभी भी किसी का उपहास, अपमान नहीं करना चाहिए: ब्रजेश जी महाराज

कभी भी किसी का उपहास, अपमान नहीं करना चाहिए: ब्रजेश जी महाराज
  • कभी भी किसी का उपहास, अपमान नहीं करना चाहिए: ब्रजेश जी महाराज
  • आज होगा शिव विवाह

Panna News: देवेंद्रनगर के बस स्टैंड स्थित शिवालय में सार्वजनिक संगीतमय शिवमहापुराण के दूसरे दिन कथावाचक पंडित ब्रजेश जी महाराज गौसेवक सागर ने कामदेव व नारद प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि नारद का यह चरित्र महत्वपूर्ण संदेश देता है कि एक सच्चे भक्त के जीवन में अहंकार का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने सती चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि बिना बुलाए पिता के घर भी नहीं जाना चाहिए वरना अपमान होना तय है। नारद जी ने दिया था विष्णु जी को श्राप जिस कारण अलग हुए थे भगवान श्रीराम और माता सीता। पौराणिक कथाओं में नारद जी एक ऐसे किरदार है जो कभी एक स्थान पर नहीं टिकते। उन्हें ब्रह्माण्ड का पहला पत्रकार भी कहा गया है। वैसे तो नारद जी क्रोध या श्राप की कहानी कम ही है लेकिन एक बार तो उन्होंने भगवान विष्णु को ही श्राप दे दिया जिसका भुगतान उन्होंने भगवान श्रीराम के अवतार में किया। पुराणों के अनुसार एक बार देवर्षि नारद को अपनी भक्ति पर बहुत अधिक गर्व हो गया।

जब भगवान विष्णु को इस बात का पता चला तो उन्होंने देवर्षि नारद का अंहकार तोडने का निश्चय किया। भगवान विष्णु ने एक सुंदर नगर बसाया और वहां एक सुंदर राजकुमारी के स्वयंवर का आयोजन किया। घूमते-घूमते जब देवर्षि नारद वहां पहुंचे तो राजकुमारी को देखकर वो उस पर मोहित हो गए। राजकुमारी को पाने के लिए वे अत्यंत ही रूपवान चेहरा लेकर स्वयंवर में पहुंचे लेकिन वहां जाकर उनका चेहरा बंदर जैसा हो गया। राजकुमारी बंदर के रूप में नारदजी को देखकर बहुत क्रोधित हुई तभी वहां भगवान विष्णु राजा के रूप में आए और राजकुमारी को अपने साथ लेकर वहां से चले गए। जब नारदजी को इस बात का पता चला कि यह सब भगवान विष्णुजी की माया थी तो उन्हें बहुत क्रोध आया। वह बहुत अपमानित महसूस कर रहे थे। क्रोध में आकर उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस तरह आज मैं स्त्री के लिए व्याकुल हो रहा हूं उसी प्रकार मनुष्य जन्म लेकर आपको भी स्त्री वियोग सहना पडेगा। उन्होंने क्रोध में आजीवन अविवाहित रहने का भी फैसला किया।

Created On :   3 March 2025 12:33 PM IST

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