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Panna News: सवालों के घेरे में अवैध क्लीनिक और मेडिकल को अनसील करने का मामला

Panna News: दस्तावेजों के अभाव में 27 नवंबर को रैपुरा पहुंचे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.पी. तिवारी ने जिस मेडिकल एवं क्लीनिक को पुलिस एवं स्वास्थ्य अमले की मौजूदगी में सील किया था उसे दो दिसंबर को उन्हीं के आदेश पर बीएमओ शाहनगर सर्वेश लोधी ने रात आठ बजे रैपुरा पहुंचकर अनसील कर दिया एवं दुकानों को खोल दिया। इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि हमने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा था जिसमें मेडिकल का वैध लाइसेंस प्रस्तुत किया है। जिसके बाद मैंने बीएमओ शाहनगर को अनसील करने के आदेश दिए थे। 27 नवंबर को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि यहां ई-क्लीनिक भी चलने के सबूत है साथ में यहां क्लीनिक भी चलाया जा रहा था। उस समय सीएमएचओ ने बताया था कि बाहर किडनी हार्ट सम्बंधी इलाज के पोस्टर भी लगे थे। सीएमएचओ ने स्वयं माना था कि इस क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन नहीं है। यहां किसी वैध रजिस्टर्ड डॉक्टर बैठने के सबूत भी नहीं मिले हैं इस वजह से इसे सील कर रहे हैं। अब अचानक मेडिकल को वैध बताकर क्लीनिक को बिना कार्यवाही किए छोड़ देना आश्चर्यजनक है।
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मेडिकल ऑफिसर ने नहीं दी पुलिस को सूचना
जब मेडिकल और क्लीनिक को सील किया गया था तब रैपुरा पुलिस की मदद ली गई थी साथ में रैपुरा मेडिकल ऑफिसर डॉ. एम.एल. चौधरी भी मौजूद थे और मेडिकल व क्लीनिक को सील किया गया था परंतु जब अनसील होने के बाद पुलिस से बात की गई तो रैपुरा थाना प्रभारी ने बताया कि सीलिंग के दौरान हमें सूचना दी गई थी तो मौके पर टीम पहुंची थी एवं सील करने में साथ में थी पंचनामा भी बनाया गया था परंतु हमें अनसील के लिए कोई पत्र या जानकारी मुहैया नहीं कराई गई। वहीं रैपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. एम.एल. चौधरी से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि अनसीलिंग के बारे में मुझे जानकारी नहीं है।
मध्यप्रदेश उपचार्यगृह तथा रुजोपचार अधिनियम व चिकित्सा सचिव के पत्र को किया दरकिनार
मध्यप्रदेश उपचार्यगृह तथा रुजोपचार अधिनियम 1973 की धारा 3 का उल्लंघन करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम या क्लीनिक संचालित नहीं कर सकता। अधिनियम में उल्लेख किया गया है कि बिना उचित पंजीयन के ऐसे अमानक चिकित्सकीय स्थापनाओं का संचालन उक्त विनियामक अधिनियम का उल्लंघन है एवं विधिक कार्यवाही उपरांत दंडनीय अपराध है। जिसमें कारावास की कालावधि तीन वर्ष एवं पचास हजार रुपए का जुर्माना है। 15 जुलाई 2024 को भी समस्त जिलों के कलेक्टर एवं समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के नाम मध्यप्रदेश के तत्कालीन चिकित्सा आयुक्त ने एक पत्र लिखा था जिसमें ऐसे मामलों में कार्यवाही के लिए कहा गया था परंतु पन्ना के स्वास्थ्य विभाग ने इसको भी दरकिनार कर बिना कार्यवाही के छोड़ दिया।
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बीएमओ ने कहा सीएमएचओ के आदेश पर की अनसीलिंग
इस संबंध में जब बीएमओ शाहनगर सर्वेश लोधी से बात की तो उन्होंने बताया कि अनसीलिंग के लिए सीएमएचओ का आदेश था। जब उनसे प्रक्रिया के दौरान बनाए गए पंचनामे के बारे में पूंछा तो उन्होंने कहा कि हमने नहीं बनाया। अर्थात अनसीलिंग के दौरान गवाहों की मौजूदगी भी नहीं थी। जबकि अनसीलिंग के दौरान पंचनामा, गवाहों की मौजूदगी एवं वीडियो रिकॉर्डिंग आदि होना जरूरी होता है।
इनका कहना है
सिर्फ मेडिकल के दस्तावेज वैध प्रस्तुत किए गए हैं परंतु क्लिनिक रजिस्टर्ड नहीं है उसे नहीं खोला जाएगा।
डॉ. आर.पी. तिवारी, सीएमएचओ पन्ना
Created On :   4 Dec 2025 11:54 AM IST













