Panna News: 80 साल पुराने भवन को प्रशासन ने अतिक्रमण बताकर गिराया, बिना अपील निराकरण भूमि नगर पालिका को की हस्तांतरित

80 साल पुराने भवन को प्रशासन ने अतिक्रमण बताकर गिराया, बिना अपील निराकरण भूमि नगर पालिका को की हस्तांतरित
  • 80 साल पुराने भवन को प्रशासन ने अतिक्रमण बताकर गिराया
  • बिना अपील निराकरण भूमि नगर पालिका को की हस्तांतरित
  • भवन प्रमाण पत्र, रजिस्ट्री सहित समस्त दस्तावेज होने के बाद भी किया बेदखल

Panna News: शहर में इन दिनों भूमि संबंधी विवादों ने एक नया मोड ले लिया है। ऐतिहासिक दर्ज और रजिस्टर्ड संपत्तियों को प्रशासनिक आदेशों के जरिए अतिक्रमण बताकर हटाने की कार्रवाई से शहर में रोष व्याप्त है। अभी हाल ही में पन्ना शहर के बीच 50 साल से अधिक पुरानी सडक को खोजना हो या श्री जुगल किशोर लोक निर्माण के लिए अतिक्रमण नोटिस जारी करना हो। जिला प्रशासन वर्षों से पचासों साल से काबिज लोगों की जमीन अधिग्रहण करने की बजाए उक्त भूमियों को अतिक्रमण बताकर कब्जे में लेने की रणनीति बनाई है। इसी कडी में प्रशासन ने डायमंड चौक स्थित 80 वर्ष पुराने पेट्रोल पम्प भवन को अतिक्रमण घोषित कर जमींदोज कर दिया था। जिसे लेकर अब वरिष्ठ नागरिक प्रमोद पाठक ने प्रेसवार्ता आयोजित कर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। प्रमोद पाठक के अनुसारए उक्त भूमि पूर्व में पन्ना महाराज द्वारा वर्ष 1945 में हाजी अली को दी गई थी जिस पर 1952 में वर्मा सेल कंपनी से अनुबंध कर पेट्रोल पम्प की शुरुआत की गई। बताया जाता है कि इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा किया गया था। वर्ष 1961 से यह भवन नगर पालिका की अभिलेखों में दर्ज था और वर्ष 2008 में प्रमोद पाठक द्वारा अपनी पत्नि सुमनलता पाठक व बहु कल्पना पाठक के नाम विधिवत रजिस्ट्री के माध्यम से संपत्ति हस्तांतरित कराई जिसके बाद से उनका लगातार कब्जा रहा।

हालांकि जिला प्रशासन ने हाल ही में इस भवन को अवैध अतिक्रमण करार देते हुए भवन को गिरा दिया और संपूर्ण भूमि को नगर पालिका को सौंप दिया जिससे उस पर विकास कार्य कराए जा सकें। पाठक का आरोप है कि उन्होंने प्रशासनिक आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जहां से उन्हें कलेक्टर के समक्ष अपील प्रस्तुत करने के निर्देश मिले थे लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि अपील विचाराधीन होने के बावजूद जिला प्रशासन ने उक्त भूमि को विकास कार्य के लिए नगर पालिका को सौंप दिया है। प्रमोद पाठक ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि यदि प्रशासन को विकास कार्य के लिए भूमि चाहिए थी तो नियमानुसार अधिग्रहण प्रक्रिया अपनाकर उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए था। हम रजिस्टर्ड स्वामी हैं मेरे पास भवन का प्रमाण पत्र, रजिस्ट्री और अन्य दस्तावेज हैं। यदि इसके बाद भी मैं मालिक नहीं हूं तो प्रशासन को मालिकाना हक की परिभाषा स्पष्ट करनी चाहिए। शहरवासियों के बीच इस कार्रवाई को लेकर गंभीर चर्चा है। एक ओर प्रशासन विकास कार्यों की दुहाई दे रहा है तो दूसरी ओर लंबे समय से काबिज लोगों को अचानक अतिक्रमण घोषित कर उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। ऐसे में यह मामला न केवल प्रशासनिक रवैये पर सवाल खडा करता है बल्कि विधिक प्रक्रिया की अनदेखी की ओर भी संकेत करता है।

Created On :   20 May 2025 6:33 PM IST

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