Pune City News: ढाई साल में 32226 बच्चों और 2861 माताओं की मौत, संभले नहीं तो बढ़ सकते हैं आंकड़ें

ढाई साल में 32226 बच्चों और 2861 माताओं की मौत, संभले नहीं तो बढ़ सकते हैं आंकड़ें
  • कुपोषण-इन्फेक्शन से बच्चों की तो ज्यादा रक्तस्त्राव
  • हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर से हो रही महिलाओं की मृत्यु
  • हर साल लगभग 70 हजार बीमार नवजात का होता है उपचार

ऋषिकेश जगताप, पुणे। महाराष्ट्र में पिछले ढाई साल में जन्म लेने वाले 0 से पांच साल तक के 32,226 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। इसी तरह बच्चों को जन्म देने के दौरान 2861 माताओं की मृत्यु हुई है। बच्चों की मौत के मुख्य कारणों में कुपोषण, गर्भ में रहने के दौरान कमजोरी, माताओं से मिलने वाला इन्फेक्शन और प्रदूषण आदि हैं। इनके कारण गर्भस्थ बच्चे को होने वाले नुकसान व पैदा हुए बच्चों की ठीक से देखभाल नहीं होना शामिल हैं। इसी तरह माताओं की मृत्यु के कारणों में मुख्यत: डिलीवरी के समय ज्यादा रक्तस्त्राव, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर शामिल हैं। देखने में आ रहा है कि वर्तमान सत्र में बच्चों व माताओं दोनों की मृत्यु के आंकड़े पहले की अपेक्षा बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। यदि संभले नहीं तो आंकड़ा 2023 के पूर्व की स्थिति में हमें ला सकते हैं।

बच्चों और माताओं के मौत के ये आंकड़े 2018 में बहुत ज्यादा थे। केंद्र सरकार की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में शिशु मृत्यु दर 1000 जन्मों पर 19 थी, जो 2023 की रिपोर्ट में घटकर 16 हो गई है। 2023 की रिपोर्ट के बाद महाराष्ट्र सरकार ने नवजात मृत्यु दर 12 तक करने का लक्ष्य रखा था जो 11 तक आ गई थी। वर्तमान सत्र में ये फिर बढ़ती हुई दिख रही है। पिछले पांच माह में 4688 नवजातों की मौत हो चुकी है जबकि 624 माताओं को हम खो चुके हैं। सितंबर से अब तक के आंकड़े अपडेट होना है। कुल मिलाकर मार्च 2026 में जब यह सत्र खत्म होगा उससे पहले सरकार को अपनी कमियों में सुधार करना होगा। गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के 42 दिनों के भीतर गर्भ से संबंधित किसी भी कारण से होने वाली मृत्यु को मातृ मृत्यु कहा जाता है।

हर साल लगभग 70 हजार बीमार नवजात का होता है उपचार

नवजात मृत्यु कम करने के लिए राज्य के सभी जिलों में 61 विशेष नवजात शिशु देखभाल कक्ष स्थापित किए गए हैं, जहां हर साल लगभग 70,000 बीमार नवजात एवं कम वजन वाले बच्चों का उपचार किया जाता है। कक्षों में रेडिएंट वॉर्मर, फोटोथैरेपी यूनिट, इन्फ्यूजन पंप, सी-पैप मशीन और मॉनीटर जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है। राज्य में कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए जिला और तहसील स्तर पर 79 पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित हैं, जहां गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को भर्ती कर चिकित्सकीय जांच, उपचार और चिकित्सीय आहार दिया जाता है।

माताओं के लिए किए गए उपचार

गर्भावस्था में जल्द से जल्द पंजीकरण (12 सप्ताह के भीतर), नियमित जांच (कम से कम चार बार), रक्तचाप, वजन, रक्त में हीमोग्लोबिन, मूत्र में शर्करा और प्रोटीन की जांच की जाती है। उच्च जोखिम वाली गर्भवती माताओं की विशेषज्ञों द्वारा विशेष निगरानी की जाती है। सभी गर्भवती माताओं के प्रसव की संभावित तिथि एवं स्थान के अनुसार सूची तैयार की जाती है और प्रसव तारीख के एक महीने पहले से स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनकी निरंतर निगरानी की जाती है।

बाल मृत्यु के आंकड़े

साल मृत बच्चों की संख्या

2023–24 13,810

2024–25 13,728

2025–26 4,688 (अप्रैल-25 से अगस्त-25 तक)

मातृ मृत्यु के आंकड़े

साल मातृ मृत्यु

2023–24 1,131

2024–25 1,106

2025–26 624 (अप्रैल-25 से अगस्त-25 तक)

पुणे में गांव से ज्यादा शहरों में बच्चों की मौत

जिले में अप्रैल से सितंबर-25 तक की अवधि के दौरान शून्य से पांच साल आयु वर्ग में कुल 336 बाल मृत्यु दर्ज की गई है। इन मौतों में से पुणे शहर क्षेत्र में यह संख्या सबसे अधिक 313 रही है, जो दर्शाता है कि अधिकांश बाल मृत्यु शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं। वहीं, जिले की तहसीलों में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। वेल्हे और बारामती तहसीलों में छह महीने में शून्य मृत्यु दर्ज की गई है, जबकि दौंड और खेड़ तहसीलों में सर्वाधिक क्रमश: चार-चार बाल मृत्यु दर्ज की गई।

2023-24 में यह संख्या 1094 थी, जो 2024-25 में घटकर 921 हो गई। 2025-26 के पहले छह महीनों (अप्रैल से सितंबर) में 336 मौत हो चुकी हैं।

पुणे विभाग

पुणे 921

सोलापुर 554

सातारा 284

सांगली 136

कोल्हापुर 404

Created On :   26 Nov 2025 5:00 PM IST

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