Pune City News: देश के विकास में जुगाड़ तंत्र सबसे बड़ा खतरा

देश के विकास में जुगाड़ तंत्र सबसे बड़ा खतरा
  • वरिष्ठ वैज्ञानिक रघुनाथ माशेलकर ने जताई चिंता
  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में कम से अधिक सूत्र पर काम करने की जरूरत

भास्कर न्यूज, पुणे। भारत के लोग जुगाड़ में आगे हैं। जुगाड़ में उत्पादन के स्तर और सुरक्षा की गारंटी नहीं होती। इसलिए देश की पहचान जुगाड़ू देश के तौर पर न बन जाए। उक्त चिंता वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने जताई। माशेलकर ने कहा कि उत्पादन के तकनीकी ज्ञान की बात करें तो चीन सबसे आगे है। लेकिन तकनीक के सर्वसमावेशी उपयोग में भारत उससे भी आगे है। कम से कम संसाधन में अधिकाधिक उत्पादन करने के लिए तकनीक का सर्वसमावेशी होना जरूरी है। माशेलकर ने कहा कि भारत में नए उद्योग के उभरने में अनेक बाधाएं आती हैं।

-स्वास्थ्य के क्षेत्र में कम से अधिक सूत्र पर काम करने की जरूरत

पुणे इंटरनेशनल सेंटर की ओर से डॉ. माशेलकर लिखित ‘मोअर फ्रॉम लेस फॉर मोअर’ पुस्तक का विमोचन किया गया। पुस्तक के सहलेखक डॉ. सुशील बोर्डे ने डॉ. माशेलकर से संवाद साधा। माशेलकर ने कहा कि देश के विकास के लिए सृजन, शोध के क्षेत्र में व्यापक सुधार की जरूरत है। विज्ञान-तकनीक के सर्वसमावेशी उपयोग कर सभी नागरिकों को सभी सुविधा कैसे दी जा सकती है इसका विचार हमें करना चाहिए। डॉ. माशेलकर ने कहा कि मौजूदा समय कम से कम संसाधन में अधिक से अधिक उत्पादन करने का समय है। ऐसा करते समय हमें इसका ध्यान रखना चाहिए कि हम किसके लिए काम कर रहे हैं। केवल नफा कमाने के लिए काम न करें, अधिकाधिक लोगों तक स्तरीय सुविधा देने के लिए काम करना अपेक्षित है। इसके लिए विज्ञान का उपयो कर नया सृजन करना होगा। माशेलकर ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में तकनीक का विकास बड़े प्रमाण में हुआ है। परंतु यह तकनीक सर्वसमावेशी नहीं है, जिसके चलते आम लोग अनेक मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सभी बीमारियां बढ़ रही हैं। प्राथमिक जांच एवं उसका तत्काल निदान दोनों में बड़ा अंतर है। स्वास्थ्य क्षेत्र में कम से अधिक सूत्र पर काम करने की जरूरत है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजय केलकर भी इस समय उपस्थित थे।

Created On :   17 Nov 2025 3:05 PM IST

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