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Satna News: गुप्त गोदावरी के जंगल में चीता दिखने के दावे के बाद अलर्ट मोड पर वन अफसर

- भैरोंबाबा मंदिर के पास लगाया जाएगा ट्रैप कैमरा
- चित्रकूट के वन क्षेत्र में चीते की मौजूदगी असंभव है, लेकिन दावे को गंभीरता से लिया गया है।
- पथरीला इलाका होने के बाद भी फुट प्रिंट जुटा कर दावे की तस्दीक की जाएगी।
Satna News: गुप्त गोदावरी के जंगल से लगे भैरोंबाबा मंदिर के पास शिकार के साथ चीता देखे जाने के दावे के बाद वन अफसर अलर्ट मोड पर हैं। डीएफओ मयंक चांदीवाल के मुताबिक इलाके में चीते की मौजूदगी असंभव है,मगर बावजूद इसके दावे को गंभीरता से लिया गया है। चित्रकूट के एसडीओ एसडीओ अभिषेक तिवारी और रेंजर विवेक सिंह के निर्देशन में मैदानी अमले को निगरानी में लगाया गया है।
भैरोंबाबा मंदिर के पास आटोमैटिक ट्रैप कैमरा लगाया जाएगा। पथरीला इलाका होने के बाद भी फुट प्रिंट जुटा कर दावे की तस्दीक की जाएगी। चित्रकूट वन क्षेत्र के भैरोंबाबा मंदिर निवासी सत्येंद्र पांडेय ने वन अफसरों को बताया कि 3 मई को शाम 6 बजे वह अपने घर के बाहर था, तभी उसने मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर चीते को शिकार के साथ देखा। रेंजर विवेक सिंह ने बताया कि अगर ऐसा है तो यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर होगा।
दावे में आखिर कितना दम
चित्रकूट उप वन मंडल में हैं 34 बाघ और 150 तेंदुए
गुप्त गोदावरी के जंगल से लगे भैरोंबाबा मंदिर के पास चीता देखे जाने का दावा सहसा किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। वजह यह है कि भारी संकट ग्रस्त एशियाई चीतों को भारत शासन 1950 के दशक में ही विलुप्त घोषित कर चुका है। वर्ष 2022 में 8 चीते नामीबिया से और वर्ष 2023 12 चीते साउथ अफ्रीका से मध्यप्रदेश के कूनो लाए गए थे।
उल्लेखनीय है, चित्रकूट उप वन मंडल की मझगवां रेंज यह इकलौता ऐसा ओपन फारेस्ट एरिया है,जहां मौजूदा समय में बाघों की संख्या 34 है।इनमें 25 बाघ, 3 बाघिन और हाल ही में जन्मे 6 शावक शामिल हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि चित्रकूट उप वन मंडल की चित्रकूट, मझगवां और बरौंधा रेंज में तेंदुओं की संख्या लगभग 150 है।
इनका कहना है-
चित्रकूट के वन क्षेत्र में चीते की मौजूदगी असंभव है, लेकिन दावे को गंभीरता से लिया गया है। संभावित स्थल पर ट्रैप कैमरा लगाया जाएगा। एसडीओ और रेंजर के निर्देशन में स्थल निरीक्षण कराते हुए मैदानी अमले से निगरानी कराई जाएगी। फुट प्रिंट खोजने का भी काम होगा।
मयंक चांदीवाल, डीएफओ
पहली नजर में चीता भी तेंदुए जैसा ही दिखता है, लेकिन दोनों के बीच कई प्रमुख अंतर होते हैं। इस अंतर को बारीकी से देख कर ही समझा जा सकता है। दोनों बड़ी बिल्ली प्रजाति के हिंसक वन्य प्राणी हैं।
1.चीता
शरीर पर काले धब्बे होते हैं। आंखों के पास काली धारी होती है। जो किसी जानवर के बहते आंसू के निशान जैसी दिखती है।
ये दहाड़ते नहीं। इनकी आवाज घुरघुराहट जैसी होती है।
शिकार तडक़े या फिर शाम ढलते कर लेते हैं। शिकार के लिए एक मिनट का समय होता है, अगर शिकार पकड़ में नहीं आया तो उसे छोड़ देते हैं।
यह पेड़ पर नहीं चढ़ पाते। इनकी ऊंची छलांग अधिकतम 23 फीट होती है।
शरीर पतला। लंबाई औसतन 67 से 94 सेंटीमीटर होती है।
दौड़ने की रफ्तार 125 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसका पिकअप और पॉवर ब्रेकअप कमाल का होता है।
2..तेंदुआ
इसके शरीर में फूल की छाप जैसे काले धब्बे होते हैं। इसका सिर चीते से बड़ा और लंबा होता है। इसके शरीर का भार और लंबाई भी ज्यादा होती है।
यह गुर्राता है और कभी कभार दहाड़ता भी है।
अपना शिकार लेकर पेड़ पर चढ़ जाता है। कई बार शिकार को पीठ पर लाद ले जाता है।
60 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ सकता है।
इंसानों की तुलना में 7 गुना बेहतर देख और 5 गुना ज्यादा सुन सकता है।
6 मीटर ऊंची छलांग लगा सकता है। पानी में तैर सकता है। प्राय: शिकार रात के समय करता है।
Created On :   6 May 2025 6:24 PM IST