वर्धा: भारत अपनी भाषा, खानपान, आतिथ्य और संस्कृति के कारण दुनिया के आकर्षण का केंद्र

भारत अपनी भाषा, खानपान, आतिथ्य और संस्कृति के कारण दुनिया के आकर्षण का केंद्र
  • महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वाविद्यालय
  • महादेवी सभागार में आयोजित ‘मैंने हिंदी इस प्रकार सीखी’

डिजिटल डेस्क, वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वाविद्यालय में हिंदी सीख रहे विदेशी विद्यार्थियों के लिए हिंदी साहित्य विभाग की ओर से सोमवार,18 दिसंबर को आयोजित भाषण प्रतियोगिता में सहभागी श्रीलंका, बेल्जियम और चीन के विद्यार्थियों ने कहा कि भारत अपनी भाषा, खानपान, आतिथ्य और संस्कृति के कारण दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया हैं।

हिंदी साहित्य विभाग के अध्यक्ष प्रो.अवधेश कुमार के मार्गदर्शन में महादेवी सभागार में आयोजित ‘मैंने हिंदी इस प्रकार सीखी’,‘भारत कैसा लगा’, ‘मेरी नजर में भारतीय संस्कृति’ इन विषयों पर आयोजित प्रतियोगिता में सहभागी श्रीलंका के पीएचडी के शोधार्थी ब्रसील वितान, बेल्जियम की माया, आल्मा शेख, बेल्जियम के छात्र रो तथा चीन की छात्राएं पेन हुई लिंग(भारतीय नाम आर्या) व देंग ली (भारतीय नाम हेमाली) ने अपने विचार व्यक्त किए। श्रीलंका के ब्रसील ने बताया कि हिंदी उनकी सबसे प्रिय भाषा है और लता मंगेशकर के हिंदी गाने सुनकर इसे सीखा है। भारतीय संस्कृति और संगीत मुझे यहाँ खींच लाया है। उन्होंने श्रीलंका के केलानिया में बीए तथा महाराष्ट्र के कोल्हापुर विश्वविद्यालय में एमए किया है। ‌बेल्जियम की आल्मा शेख ने "मेरी नज़र में भारतीय संस्कृति' विषय पर बोलते हुए कहा कि हिंदी धारावाहिक देखकर और भारतीय लोगों से बातचीत कर मैंने हिंदी सीख ली हैं। ‌यहाँ के त्योहार, खानपान और संस्कृति मुझे बहुत पसंद है। ‌बेल्जियम के रो ने कहा कि बेल्जियम में भी हिंदी बोली जाती है। भारत के दोस्तों से अच्छी हिंदी सीखने का अवसर मिला है।

बेल्जियम की माया ने कहा कि भारत की संस्कृति और आतिथ्य ने मुझे प्रभावित किया। ‌वहीं चीन की आर्या ने कहा कि हिंदी और चीनी भाषा के ज्ञान से दुनिया में अधिकांश लोगों से बात करना चाहती हूं। मैंने वर्धा रहते हुए अनेक ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा की हंै। भाषा और संस्कृति से संबंधित वीडियो को चीन में अनुवाद कर भारत की संस्कृति को बढ़ावा देने की इच्छा आर्या ने जताई। चीन की ही हेमाली का कहना था कि भारत अनेक राज्यों वाला बड़ा देश है। ‌भारत विभिन्न धर्मों का एक बड़ा संग्रहालय जैसा है। यहाँ के ऐतिहासिक स्मारक समृद्ध संस्कृति के साक्षी हैं। मिलनसार लोग, चटपटा भोजन, जश्न से भरे त्योहार और भाषाओं की विविधता के कारण भारत अच्छा लगता है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की ओर से 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। 10 जनवरी 2024 का यह आयोजन नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू भवन में किया जा रहा है। बताया कि प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन महाराष्ट्र के नागपुर में 10 जनवरी 1975 में आयोजित किया गया था।

भारत सरकार ने इसी की याद में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा 1996 में की थी। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विजेताओं की सूची विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली को भेजी जाएगी। इस प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल में हिंदी साहित्य विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोकनाथ त्रिपाठी, भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ.एच. ए. हुनगुंद, और अनुवाद अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. श्रीनिकेत मिश्र शामिल थे। ‌इस अवसर पर साहित्य एवं भाषा विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अखिलेश कुमार दुबे ने संबोधित किया।


Created On :   20 Dec 2023 1:43 PM GMT

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