तांत्रिकों ने उल्लुओं के लिए फंदे लगाए दस से ज्यादा पक्षियों ने जान गँवाई -  लोगों की जागरूकता से 20 उल्लुओं की जान बची

More than ten birds lost their lives for owls
तांत्रिकों ने उल्लुओं के लिए फंदे लगाए दस से ज्यादा पक्षियों ने जान गँवाई -  लोगों की जागरूकता से 20 उल्लुओं की जान बची
तांत्रिकों ने उल्लुओं के लिए फंदे लगाए दस से ज्यादा पक्षियों ने जान गँवाई -  लोगों की जागरूकता से 20 उल्लुओं की जान बची

डिजिटल डेस्क जबलपुर । उल्लुओं की बलि से तांत्रिक सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए हर साल की तरह दीपावली में शनिवार की रात अंधविश्वासियों ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में तार के फंदे के फंदे बिछाए थे। इन फंदों में उल्लुओं के साथ मिठ्ठू, कबूतर, कोयल जैसी कई प्रजाति के करीब 10 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो गई। हालाँकि इन दर्दनाक घटनाओं का एक सुखद पहलू ये भी रहा कि इस बार आमलोगों की जागरूकता से 20 से ज्यादा उल्लुओं को फंदे से मुक्त कराकर उनकी जान बचा ली गई। शिकार की ऐसी घटनाओं के लिए वन विभाग हर बार स्पेशल टीमें तैनात करता है, लेकिन ये सारी कवायद महज औपचारिकता ही रहती है। इस मामले में वन विभाग के जवाबदार अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। 
इन क्षेत्रों में मृत मिले पक्षी 
फूटाताल मैदान, अधारताल थाना के पीछे, नयागांव, गढ़ा पुरवा, बाजनामठ मंदिर के पीछे, यूनिवर्सिटी रोड, खमरिया जैसे क्षेत्रों में शिकारियों के फंदों में फँसने की वजह से पक्षियों की मौत होने की पुष्टि हुई है। कुछ घटनाओं की तस्वीरें और वीडियो लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर कर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े किए हैं। पक्षीविद और वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने इन घटनाओं को लेकर दुख जताते हुए वन विभाग से इस मामले में गंभीरता से कार्यवाही करने की माँग की है। 
हर साल बिछाए जाते हैं फंदे 
 हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार दीपावली की रात साल की सबसे बड़ी अमावस्या होती है, इस रात तांत्रिक साधना की प्राप्ति के लिए अंधविश्वासी लोग उल्लू की बलि चढ़ाते हैं। जिसके लिए हर साल उल्लुओं का शिकार करने के लिए खुले मैदानों के साथ जंगली एरिया में फंदे बिछाए जाते हैं। जिसके कारण बेजुबान पक्षियों को जान गँवानी पड़ती है। 
 

Created On :   17 Nov 2020 9:58 AM GMT

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