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Pune City News: बालू आंदेकर की हत्या के बाद भड़का था गैंगवार

भास्कर न्यूज, पुणे। बालू आंदेकर के शहर में बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए काफी लोग उसके पीछे लग गए थे। मालवदकर से विवाद ने इन लोगों को एक राह दी। उन्होंने मालवदकर को आंदेकर के प्रति और भड़काया। धीरे-धीरे आंदेकर और मालवदकर गिरोह के बीच दुश्मनी गहरी होती गई। स्थिति यह बनी की मालवदकर गैंग ने बालू आंदेकर की हत्या की। उसके बाद मालवदकर गैंग के चार तो आंदेकर गैंग के दो सदस्यों की और हत्या हुई।
असल में मालवदकर पिता की बालू द्वारा की गई बेइज्जती से नाराज था। उसी दौरान पिंपरी–चिंचवड़ इलाके में आंदेकर और मालवदकर गिरोह से जुड़े अपराधियों के बीच तनाव बढ़ने लगा। 3 जनवरी 1994 को चिंचवड़ गांव के उरुस मेले में आंदेकर गिरोह के नागेश अगज्ञान और उसके साथियों ने विनोद मालवदकर और शरद बारहाते पर जानलेवा हमला किया। वारदात में भागने के लिए आरोपियों ने कुख्यात अपराधी दत्ता खाड़े उर्फ डी.के. की गाड़ी का इस्तेमाल किया था। इसके बाद बदला लेने के लिए मालवदकर गिरोह ने 17 फरवरी 1994 को शिवाजीनगर में खाड़े के घर के पास हमला किया।
बालू को घेरकर कोयते से किए थे वार
बालू आंदेकर के साथ काम करते समय प्रमोद मालवदकर को बालू आंदेकर के सभी कोर्ट केस की जानकारी थी। किस दिन बालू कोर्ट की पेशी के लिए जाएगा, मालवदकर जानता था। 17 जुलाई 1984 को दिनदहाड़े शिवाजीनगर कोर्ट के बाहर मालवदकर और उसके साथियों ने बालू आंदेकर को घेर लिया और कोयते से हमला कर उसकी हत्या कर दी। इस वारदात ने अपराध जगत में हड़कंप मचा दिया। उसके बाद गैंगवार चरम पर पहुंच गया। शहर के भीड़भरे इलाकों में दिनदहाड़े एक के बाद एक छह हत्याएं हुईं। इनमें मालवदकर के पिता शिवाजी, भाई संजय, चाचा अशोक, दोस्त अशोक बारहाते और आंदेकर गिरोह के चंद्रकांत लोंबर व कालीदास अगज्ञान की जान गई। इन घटनाओं से पूरे शहर में दहशत फैल गई थी।
पुलिस ने किया मालवदकर का एनकाउंटर
आंदेकर की हत्या के मामले में कुछ साल बाद मालवदकर जमानत पर छूट गया। उसने फिर से साथियों को इकट्ठा किया और खासतौर पर पिंपरी-चिंचवड़ इलाके में व्यापारियों से फिरौती वसूलना शुरू किया। उसने आंदेकर गिरोह के गुंडों पर भी हमले किए। उसका मकसद सिर्फ यही था कि आंदेकर गैंग खत्म हो जाए। ऐसे में हालात फिर से गैंगवार की ओर बढ़ने लगे। पुलिस उसकी तलाश में जुटी लेकिन वह लगातार ठिकाने बदलकर पुलिस को चकमा देता रहा। आखिरकार 19 नवंबर 1997 में कालेवाड़ी के पास पुलिस से मुठभेड़ में मालवदकर मारा गया।
बालू की बहन अक्का ने संभाली थी गैंग
बंडू बना मास्टर माइंड
बालू आंदेकर की हत्या के बाद उसकी बहन अक्का आंदेकर ने गैंग के सूत्र अपने हाथ में लिए लेकिन महिला होने की वजह से गैंग चलाना अक्का के लिए आसान नहीं था। मालवदकर के पिता शिवाजी, भाई संजय, चाचा अशोक, दोस्त अशोक बारहाते की हत्या की योजना बंडू आंदेकर ने बनाई जिससे उसकी छवि मास्टर माइंड की बन गई जो आज तक कायम है। उसके बाद आंदेकर गैंग की बागडोर बंडू ने संभाली। गैंग संभालते-संभालते बंडू आंदेकर को यह बात ध्यान में आई की गैंग चलाने के लिए सिर्फ पैसा काफी नहीं है। यही कारण रहा कि बंडू आंदेकर ने परिवार के सदस्यों को राजनीति के जरिए चुनाव मैदान में उतारना शुरू किया। आंदेकर परिवार से अब तक सात लोग नगरसेवक रह चुके हैं।
Created On :   31 Oct 2025 5:00 PM IST












