Pune City News: जैन बोर्डिंग जमीन का स्टाम्प ड्यूटी लौटाने का पेंच फंसा

जैन बोर्डिंग जमीन का स्टाम्प ड्यूटी लौटाने का पेंच फंसा

    भास्कर न्यूज, पुणे। पिछले कई दिनों से विवादों में रहे मॉडल कॉलोनी स्थित जैन बोर्डिंग जमीन के व्यवहार का पटाक्षेप हो गया। राज्य के चैरिटी कमिश्नर अमोघ कलोटी ने गुरुवार को 4 अप्रैल 2025 को जैन बोर्डिंग जमीन बिक्री के लिए मंजूरी देनेवाले आदेश को रद्द कर दिया। परंतु जमीन का स्टाम्प ड्यूटी लौटाने का पेंच अब भी फंसा हुआ है। गोखले बिल्डर्स के वकीलों ने जमीन बिक्री व्यवहार के लिए राज्य सरकार को चुकाई स्टाम्प ड्यूटी वापस करने का आदेश देने का अनुरोध किया। धर्मादाय आयुक्त ने स्पष्ट किया कि मैं स्टाम्प ड्यूटी वापस करने का आदेश नहीं दे सकता, यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसके लिए, आप चर्चा करें और तय करें कि आपको क्या करना चाहिए। पूरी प्रक्रिया के लिए 4 हफ्ते का समय गोखले बिल्डर के वकीलों ने मांगा, परंतु जैन समुदाय के वकीलों ने कहा कि 2 हफ्ते ही पर्याप्त है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्टाम्प ड्यूटी की राशि का मुद्दा कैसे सुलझता है?

    -भगवान महावीर के दिया वचन मैंने पूरा किया: मोहोल

    मामले के सुलझने पर राहत महसूस कर रहे केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि भगवान महावीर के समक्ष मैंने वचन दिया था कि जैन समाज के मन में जो है, वही होगा। धर्मादाय आयुक्त के आदेश ने इसपर मुहर लगा दी है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भूमिका इसमें बेहद महत्वपूर्ण है। 1 नवंबर के पहले सही फैसला होगा, ऐसा वचन दिया गया था, वह 1 दिन पहले ही पूरा हो गया है। मोहोल ने कहा कि मैं शुरु से कह रहा था कि मैं जैन समुदाय के साथ हूं और जैन समुदाय मेरे साथ है। मेरा जैन समुदाय के साथ पिछले 30 वर्षों से रिश्ता है। शहर के जैन समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने इस मामले में मुझ पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया। लेकिन, कुछ राजनेताओं ने जानबूझकर स्वार्थी कारणों से झूठे आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की कोशिश की। उनके प्रयासों के बावजूद मेरे जैन समुदाय के साथ रिश्ते खराब होने की कोई आशंका नहीं है। जैन समुदाय ने मुझ पर जो विश्वास दियाखा है, उसके लिए मैं समुदाय का आभारी हूं।

    - गोखले बिल्डर से लेकर धर्मादाय आयुक्त तक सभी की जांच हों - धंगेकर

    जैन बोर्डिंग हाउस जमीन लेनदेन का सौदा भले ही रद्द हो गया है, मामले में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। इसलिए गोखले बिल्डर, धर्मादाय आयुक्त कार्यालय और संबंधित सरकारी विभागों की सख्त जांच होनी चाहिए। धर्मादाय आयुक्त कार्यालय ने कुछ आवेदनों पर बेहद तेजी से कार्रवाई की, जो पूरी तरह संदेहास्पद है। हॉस्टल को गिरवी रखते समय यह लेनदेन किन शर्तों पर हुआ, इसका खुलासा होना जरूरी है। संचालक मंडल, बिल्डर और उन्हें समर्थन देने वाली सरकारी संस्थाएं जैसे रजिस्ट्रार कार्यालय, धर्मादाय आयुक्त कार्यालय, महापालिका और बैंकों ने यह व्यवहार किन आधारों पर मंजूर किया, यह सब जांच के दायरे में आना चाहिए, ऐसा धंगेकर ने कहा। इसको लेकर धंगेकर ने गुरुवार (30 अक्टूबर) की सुबह चतु:शृंगी पुलिस थाने जाकर शिकायत दर्ज की। शिकायत के बाद धंगेकर ने कहा कि यदि पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तो वे पुलिस आयुक्त से मुलाकात करेंगे और फिर भी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

    - जैन समुदाय की भावनाओं के साथ न्याय करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार - पाटिल

    मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ा रुख अपनाते हुए भरोसा दिलाया था कि जैन समुदाय की भावनाओं के साथ न्याय किया जाएगा। धर्मादाय आयुक्त ने जैन बोर्डिंग ट्रस्ट और डेवलपर की आपसी सहमति से लेनदेन को पूरी तरह से रद्द करने का आदेश दिया। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को धन्यवाद देता हूं। चैरिटी कमिश्नर ने इस लेन-देन के लिए ट्रस्ट को दी गई राशि डेवलपर को वापस करने के स्पष्ट निर्देश भी दिए हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल का नाम इस मामले में अनावश्यक रूप से घसीटा गया। भाजपा की बढ़ती ताकत कई लोगों के लिए चिंता का विषय है। इसीलिए भाजपा के नेताओं को बदनाम करने की लगातार कोशिशें हो रही हैं।

    जैन समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैंने स्वयं इस परियोजना से हटने का निर्णय लिया है। जैन बोर्डिंग ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने भी इस निर्णय पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। मैं उन सभी जैन मुनियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मेरे निर्णय का स्वागत किया है और यह रुख अपनाया है कि ट्रस्ट को उक्त लेनदेन में प्राप्त 230 करोड़ रुपए वापस कर देने चाहिए। इसे मैं जैन मुनियों का आशीर्वाद मानता हूं। धर्मादाय आयुक्त के आदेश के तहत लेनदेन रद्द करने की आगे की कानूनी प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी।

    - विशाल गोखले, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, गोखले कंस्ट्रक्शन्स।

    यह जैन समुदाय के संपत्ति की लड़ाई नहीं थी, यह छात्रों के अधिकारों, समुदाय की आस्था और न्याय के सिद्धांतों की सामाजिक लड़ाई थी। यह लड़ाई आसान नहीं थी, इसमें कई कठिनाइयां थीं। हमें समाज के सभी वर्गों, सभी जातियों, धर्मों और सभी दलों के राजनेताओं का समर्थन मिला। यह निर्णय एक ट्रस्ट तक सीमित नहीं है। बल्कि धर्मार्थ ट्रस्ट अधिनियम के तहत सभी संस्थानों के लिए पारदर्शिता और न्याय का एक आदर्श स्थापित करता है।

    - अक्षय जैन, महासचिव, महाराष्ट्र युवक कांग्रेस।

    Created On :   31 Oct 2025 3:11 PM IST

    Tags

    और पढ़ेंकम पढ़ें
    Next Story