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Pune News: गन्ना खेत से 27 मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से छुड़वाया

भास्कर न्यूज, पुणे। दौंड तहसील के राहू गांव में चल रहे एक गन्ना क्रशिंग यूनिट से पुलिस ने 27 मजदूरों को छुड़वाया गया। जिनमें पुरुष, महिलाएं और छोटे बच्चों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया है। इस कार्रवाई के बाद पुलिस ने यूनिट मालिक हिरामण गणपत गाढवे और उसके बेटे अरुण गणपत गाढवे, दोनों निवासी राहू, माधवनगर, तालुका दौंड, जिला पुणे, के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। आरोपियों पर बंधुआ मजदूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम 1976 की धारा 16, 17, और भारतीय न्याय संहिता 2023 की धाराएं 115(2), 126(2), 351(2), 351(3) तथा 3(5) के तहत मामला दर्ज हुआ है।
शिकायतकर्ता मनीषा शिवाजी जाधव (45) ने एफआईआर में बताया कि वह और उनका परिवार पति शिवाजी दामु जाधव, बेटे रविंद्र और जयवंत, बहू सुरेखा श्रीकांत जाधव और दो छोटे पोते यश (4 वर्ष) तथा शुभम (2 वर्ष) पिछले दस वर्षों से हिरामण गाढवे के क्रशिंग यूनिट पर मजदूरी कर रहे थे। गाढवे ने उन्हें शुरुआत में दस हजार रुपए अग्रिम देकर काम पर रखा था, लेकिन इसके बाद पूरे परिवार को उसी जगह बंधक बना लिया गया। मजदूरी का भुगतान केवल 300 रुपए प्रति टन ऊस काटने पर किया जाता था, और वर्षों तक सही हिसाब नहीं दिया गया।
जानकारी मुताबिक 15 अक्टूबर 2025 को उनका भतीजा शिवराम रघुनाथ राजपूत अचानक बीमार हो गया। जब उन्होंने इलाज के लिए अनुमति मांगी, तो मालिक गाढवे ने गालियां दी और इलाज की इजाजत नहीं दी। 20 अक्टूबर को बीमार मजदूर को काम नहीं करने के आरोप में गन्ने से पीट-पीटकर घायल कर दिया गया। जब मनीषा ने विरोध किया, तो गाढवे ने धमकी दी कि जा जहां चाहो शिकायत कर ले, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। उल्टा तुझ पर झूठा केस डालकर जेल भेज दूंगा।
एफआईआर में दर्ज है कि मजदूरों को किसी भी हालत में गांव जाने, साप्ताहिक बाजार तक जाने या किसी रिश्तेदार के यहां जाने की अनुमति नहीं थी। पिता-पुत्र गाढवे मजदूरों की हर गतिविधि पर नजर रखते थे। यदि कोई मजदूर भागने की कोशिश करता या विरोध करता, तो उसे धमकाया और मारा-पीटा जाता था। 28 अक्टूबर 2025 की सुबह यवत पुलिस थाने के उपनिरीक्षक सतीश राजपूत, हवलदार हनुमंत भगत, संदीप करे, सुनिल के. आव्हाड (जीएलओ) के साथ मंडल अधिकारी जयंत भोसले (खामगांव), शुभम वसंत गुरव (इंडिया लेबर लाइन एनजीओ) और मंगेश थोरात (अमृतवाहिनी संस्था) मौके पर पहुंचे। पुलिस और एनजीओ की इस संयुक्त टीम ने क्रशिंग यूनिट से 27 मजदूरों को मुक्त कराया, जिनमें कई छोटे बच्चे भी शामिल थे।
इस घटना में शामिल पीड़ित मजदूर संजय बंसी जाधव, आकाश संजय जाधव, निकीता आकाश जाधव, आराध्या आकाश जाधव, आदर्श आकाश जाधव, विकास संजय जाधव, अश्विनी विकास जाधव, कांता संजय जाधव, वैजिनाध लक्ष्मण माली, दिपाली दिलीप माली, गौतम दिलीप माली, विद्या दिलीप माली, विमलबाई रघुनाथ राजपूत, शिवराम रघुनाथ राजपूत, तुलाबाई गीताराम बरडे, शुभम नवनाथ बरडे ऐसे कुल 27 स्त्री, पुरुष और बच्चों को छुड़वाया है। पिछले दस वर्षों से इन मजदूरों को जबरन बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी। यवत पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक नारायण शिवाजीराव देशमुख ने कहा कि मजदूरों को बंधुआ बनाकर रखने का यह मामला मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि सभी मजदूरों को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है और आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
Created On :   30 Oct 2025 5:57 PM IST












