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Pune News: तलेगांव-उरुली कांचन रेल मार्ग का 15 गांवों ने किया विरोध

भास्कर न्यूज, पिंपरी-चिंचवड़। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में प्रस्तावित रेलवे बाईपास मार्ग की घोषणा की। इस राह में अवरोध आने लगे हैं। मार्ग पर पड़ने वाले गांवों के निवासियों की ओर से इसका तीव्र विरोध किया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से कुरुली और देहू के ग्रामीणों का समावेश है। खेड़ तहसील के सांगुर्डी, निघोजे, मोई, कुरुली, रासे, चिंबली, सोलू, धानोरे, गोलेगांव, आलंदी और मावल तहसील के इंदोरी, मालवाड़ी सहित 15 और गांवों के निवासियों ने स्थानीय प्रशासन से इस परियोजना को रद्द करने या योजना में बदलाव करने की मांग की है। स्थानीय नागरिकों ने सलाह दी है कि यदि यह परियोजना करनी है, तो इसे वन विभाग की जमीन से ले जाया जाए। नागरिकों ने प्रस्तावित यातायात नेटवर्क के खिलाफ कार्य समितियां गठित की हैं।
-केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात करेगी समिति
15 से अधिक गांवों के निवासियों का कहना है कि विकास के नाम पर उनकी जमीन का पर्याप्त उपयोग सरकार ने पहले ही कर लिया है। प्रस्तावित योजना का विरोध करने के लिए कार्य समितियां गठित की गई हैं। ग्रामीणों ने अब तक केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले, शिरूर के सांसद डॉ. अमोल कोल्हे, बारामती की सांसद सुप्रिया सुले, स्थानीय विधायक बाबाजी काले और सुनील शेलके, वरिष्ठ नेता शरद पवार और अन्य से मुलाकात की है। जल्द ही यह समिति केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात करेगी। स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि अजित पवार, चूंकि इस रेल मार्ग का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए वह इसका विरोध कर रहे नागरिकों से मिलने से टालमटोल कर रहे हैं।
-तलेगांव दाभाड़े और उरुली कांचन को जोड़ेगा मार्ग
उपमुख्यमंत्री और पुणे जिले के पालक मंत्री अजित पवार ने कुछ महीने पहले ही इस परियोजना घोषणा की थी। भारतीय रेल विभाग ने इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर मंज़ूरी के लिए राज्य और केंद्र सरकार को सौंप दी है। यह रेल मार्ग मावल के तलेगांव दाभाड़े और हवेली तहसील के उरुली कांचन को जोड़ेगा। चाकण और रांजनगांव सहित प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों से भी यह मार्ग हो कर गुजरेगा। यह रेल मार्ग नियोजित रिंग रोड के समांतर होगा और इसकी कुल लंबाई 70-80 किलोमीटर होगी। इसमें कुल नौ नए स्टेशन निर्धारित किए गए हैं, जिनमें नया तलेगांव, वराले, संत तुकाराम महाराज (देहू), कुरुली, संत ज्ञानेश्वर महाराज (आलंदी के पास), वाघोली, कोलवड़ी, कुंजीरवाड़ी और उरुली (बाईपास) रेलवे स्टेशन शामिल हैं। इस रेल मार्ग का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्र में लगनेवाले जाम से निजात पाना, औद्योगिकीकरण को बढ़ावा, शहरी विकास और प्रादेशिक कनेक्टिविटी हैं।
विरोध के कारण-
- यह प्रस्तावित रेल मार्ग देहू, कुरुली और अन्य औद्योगिक तथा आवासीय क्षेत्रों से होकर गुजरता है।
- परियोजना के लिए 2023 में उपग्रह द्वारा जमीन अधिग्रहण का सर्वेक्षण किया गया था, तब वह जमीन खाली थी लेकिन चाकण एमआईडीसी के विस्तार के कारण अब वहां घर और गोदाम बस गए हैं।
- कुरुली गांव में लगभग 70-80 लोग विस्थापित हो सकते हैं, जिससे उनके घरों और आजीविका पर असर पड़ सकता है।
- स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि यह मार्ग चाकण क्षेत्र के उस हिस्से से, जहां औद्योगिकीकरण नहीं हुआ है, और जहां संभव हो, वन विभाग की जमीन से ले जाया जाए।
- इस क्षेत्र में पहले से ही पुणे-नाशिक महामार्ग, एमआईडीसी और रिंग रोड जैसी बड़ी परियोजनाएं हैं, जिनके लिए स्थानीय लोगों की जमीनें बड़े पैमाने पर अधिग्रहित की गई हैं।
- कुरुली में एक दलित बस्ती है, जो उनकी पैतृक ज़मीन पर बसी हुई है। भावनात्मक मूल्य के कारण स्थानीय लोग अपनी पैतृक संपत्ति देने से इनकार कर रहे हैं, जिसकी कोई आर्थिक भरपाई नहीं हो सकती।
हमने कई आंदोलन की योजना बनाई है। लोगों का जीवन यहां के व्यवसायों और नौकरियों पर निर्भर है। रेलवे हमें अस्थायी मुआवजा देगी, लेकिन हम अपनी आय के स्थायी स्रोत कैसे बंद कर सकते हैं? इस क्षेत्र में हर किसी को लगता है कि रेल मार्ग की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।"
- तारकेश्वर कांबले, सचिव, तलेगांव-उरुली कांचन रेल परियोजना विरोधी आंदोलन समिति
मंज़ूरी के लिए प्रस्तुत डीपीआर में वही बातें हैं, जिनका हम विरोध कर रहे हैं। क्या इस रेल मार्ग की वास्तव में जरूरत है? इसके परिणाम मुझे मालूम हैं। स्थानीय नागरिकों के लिए इस रेल मार्ग में बहुत जटिलता है।
- श्रीपाद घुले, स्थानीय निवासी, देहूगांव
Created On :   31 Oct 2025 5:10 PM IST












