उल्लंघनकर्ताओं को नहीं साइबर कानूनों का कोई डर

Violators have no fear of cyber laws
उल्लंघनकर्ताओं को नहीं साइबर कानूनों का कोई डर
कर्नाटक उल्लंघनकर्ताओं को नहीं साइबर कानूनों का कोई डर

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक पुलिस ने एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में एक कांस्टेबल को गिरफ्तार किया, जो अपने इंस्टाग्राम दोस्त से मिलने के लिए घर से निकली थी। बेंगलुरु के आरटी नगर के एक 37 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि डेटिंग ऐप के जरिए उससे 3.5 लाख रुपये की ठगी की गई।

कर्नाटक की एक अदालत ने दक्षिण कन्नड़ जिले में एक नाबालिग लड़की को ब्लैकमेल करने, उसे गंदी बातों में फंसाने और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने पर एक पुलिस कांस्टेबल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरोपी ने फेसबुक के जरिए लड़की से दोस्ती की थी।

कर्नाटक पुलिस ने दक्षिण कन्नड़ जिले के विटला कस्बे में एक ट्रांसजेंडर को फेसबुक अकाउंट पर एक पुरुष के रूप में एक युवा महिला को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। एक फैशन डिजाइनिंग ग्रेजुएट युवती ने 19 जनवरी की रात को बेंगलुरु के बाहरी इलाके मदनायकनहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उसने शिकायत की है कि उसके फेसबुक दोस्त ने उसकी कार में उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसका अश्लील वीडियो बनाया।

ये सभी घटनाएं हाल के महीनों में हुई हैं, जिनमें से अधिकांश बेंगलुरु में हुई हैं। पुलिस और विशेषज्ञ अपराध की इन सभी घटनाओं में एक सामान्य बात हैं कि सोशल मीडिया का आकर्षण उनके लिए घातक साबित हुआ। एक सेवानिवृत्त एसपी और लेखक एस.के. उमेश ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि अपराधियों को आईपीसी की धाराओं से संबंधित मामलों के संबंध में दंड, पुलिसिंग के बारे में पता था। सोशल मीडिया का उपयोग कर, किए गए अपराधों में आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा, साइबर कानूनों के बारे में जानकारी का अभाव है। उन्हें सरल बनाने की जरूरत है। अगर उन्हें सरल नहीं किया गया, तो साइबर अपराध के तहत सजा नहीं मिल पाएगी। उमेश ने कहा, प्रक्रियाओं के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है और कुशल कर्मचारियों की कमी है। चार्जशीट दायर की जा रही है और यह प्रक्रियात्मक चूक के कारण देरी होती है। पुलिस डिजिटल दस्तावेजों को स्वीकार नहीं करने वाली अदालतों पर निर्भर है। साइबर कानूनों को लेकर काफी खामियां हैं।

गिरफ्तार लोग सोच रहे हैं कि उन्हें एक दिन में जमानत मिल जाएगी और उनका हौसला बढ़ेगा। उमेश कहते हैं कि इस समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है। क्या अच्छा है और क्या बुरा, यह तय करना बहुत मुश्किल है।  सोशल मीडिया पर कोई भी कुछ भी देख सकता है। बच्चे इसकी तरफ अधिक आर्कषित हो रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ प्राइमरी एंड सेकेंडरी स्कूल ऑफ कर्नाटक (केएएमएस) की कोर कमेटी के सदस्य और विद्या वैभव ग्रुप ऑफ स्कूलों के संस्थापक किरण प्रसाद ने बताया कि सोशल मीडिया का निश्चित रूप से बच्चों पर प्रभाव पड़ता है।

प्रसाद कहते हैं, अगर आप आरोपी किशोर अपराधियों द्वारा दिए गए बयानों को देखें तो वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वे सोशल मीडिया से प्रभावित हैं। केवल एक चीज जो किया जा सकता है, वह है बच्चों को यह सिखाना कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। दूसरी बात, बच्चों से पारदर्शी तरीके से बात करने की कोशिश करें।  बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में हम बच्चों से बात नहीं करना चाहते हैं। इस तरह की कई चीजें हैं। यह एक अंतर पैदा करेगा। आज कार्टून भी हिंसक हैं।

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक ए. श्रीधर उत्तर प्रदेश की एक घटना के बारे में बताते हैं जहां एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के आत्महत्या करने का वीडियो बनाया। इस आदमी ने अपनी पत्नी के आत्महत्या की वीडियोग्राफी की। जब भी कोई दुर्घटना होती है तो सबसे पहले आप घटना को रोकने की कोशिश करते है। लेकिन वह उस घटना को रिकॉर्ड करना चाहता था, ऐसे में उसके मन में कोई पछतावे की भावना नहीं थी। उन्होंने कहा, तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म या 90 साल की महिला के साथ दुष्कर्म से ज्यादा परेशान करने वाली कोई बात नहीं है।

इसलिए, दूसरे इंसानों को समझने की हमारी समझ में समस्या है। श्रीधर का मत है कि हमारी संस्कृति, शिक्षा प्रणाली और व्यक्तिगत मूल्यों को बढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि यह अब दिखाई नहीं दे रहा है। यह बहुत क्रूर व्यवहार करने वाली चीजों में से एक है जिसके लिए लोग दोषी महसूस नहीं कर रहे हैं।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   30 Oct 2022 6:30 PM IST

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