नरक चतुर्दशी आज: यमराज के लिए ऐसे जलाएं दीपक, दूर रहेंगी बुरी शक्तियां

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धनतेरस के दूसरे दिन अर्थात दिवाली से ठीक एक दिन पहले कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी मनायी जाती है। इस वर्ष यह 18 अक्टूबर 2017 गुरूवार अर्थात आज है। यह नर्क पूजा के नाम से प्रसिद्ध है। दिवाली के ठीक एक दिन पहले यह अपने प्रकाश पुंज से हर ओर रोशनी कर देती है। इसी वजह से इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है।
चिचड़ी के पत्ते से करें स्नान
ऐसी मान्यता है कि इस दिन सुबह के समय तेल लगाकर अपामार्ग या चिचड़ी की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। यम दीपक रखने और विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।
दीपदान की प्रथा
नरक चतुर्दशी की शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। इसके बाद एक थाली में एक चौमुखी दीपक और 16 छोटे दीपक लेकर तेल में बाती डालकर जलाना चाहिए। फिर रोली, धूप, अबीर, गुलाल, गुड,फूल आदि से पंचोपचार पूजन करें।
चौमुखी दीपक जलाएं
यह पूजन स्त्रियों को घर के पुरूषों के बाद करना चाहिए। पूजा के बाद चौमुखी दीपक को घर के मुख्य द्वार पर रख दें और बाकी दीपक घर के अलग-अलग स्थानों पर रखें। मां लक्ष्मी के पूजन का विधान भी इस दिन है। नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंगस्नान (Abhyang Snan), यम तर्पण, आरती, ब्राह्मणभोज, वस्त्रदान, यम दीपदान, प्रदोषपूजा, शिवपूजा, दीपप्रज्वलन करना चाहिए। इससे बुरी शक्तियां घर से दूर होती हैं और ठीक एक दिन बाद पड़ने वाली दिवाली के लिए लक्ष्मी के द्वार खुलते हैं। दिवाली के बाद गोधन पूजा और भाईदूज का त्योहार मनाया जाता है।
अभ्यंग स्नान के लिए मुहूर्त का समय चतुर्दशी तिथि पर चंद्रोदय व सूर्योदय के मध्य रहना चाहिए। इसी के तहत अभ्यंग स्नान का मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व और चंद्रमा के उदय रहते हुए सुबह 04.47 से 06.27 तक रहेगा। इसकी अवधि 1 घंटे 40 मिनट रहेगी।




Created On :   17 Oct 2017 11:52 AM IST