इनकी पूजा से नही मिलता नरक, नष्ट होते हैं सभी पाप

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कहा जाता है कि जो मनुष्य अपने जीवन का संतुलन नही बना पाते और समय से पूर्व उसका अंत हो जाता है तो उन्हें पुनर्जन्म लेकर अपने कत्र्तव्यों को पूर्ण करना होता है। चित्रगुप्त महाराज मनुष्य के जीवन का लेखा जाेखा रखते हैं। उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब-किताब रखा जाता है उसके पश्चात ही उसकी मृत्यु का समय निर्धारित होता है। पुराणों में चित्रगुप्त महाराज के 12 पुत्र भी बताए गए हैं। इस वर्ष चित्रगुप्त पूजा की तिथि 3 मार्च 2018 को है। इसी दिन भाई दूज भी है।
ब्रम्हदेव की काया से उत्पन्न
चित्रगुप्त महाराज का जन्म ब्रम्हदेव की काया से हुआ माना जाता है अतः इन्हें कायस्थ कहा जाता था। उनसे उत्पन्न मानव कायस्थ कहे जाते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा होता है। इनके एक हाथ में मनुष्य के कर्मों का लेखा जाेखा अर्थात ब्यौरा है जबकि दूसरे में कलम।
पूजन सामग्री
चित्रगुप्त की पूजा से मनुष्य नरक का भागी नही होता। उसके जाने अंजाने के सभी पापों का नाश हो जाता है। इनकी पूजा में रोली, केसर, तुलसी, गुलाल, दूध,फल, दही, मिठाई, वस्त्र, कागज, कलम आदि का प्रयोग करना चाहिए।
नाश हुए राजा के पाप
इनके संबंध में एक पौराणिक कथा है कि एक बार एक सौदास नामक राजा बड़ा ही धूर्त था। अत्याचार और अधर्म उसका कार्य था। एक बार उसने आखेट खेलते समय जंगल में साधु संतों को चित्रगुप्त की पूजा करते देखा और उसने भी विधि-विधान से यह पूजन किया। जब उसकी मृत्यु हुई तो पाप कर्म की वजह से उसे नरक ले जाया गया, किंतु जब उसका लेखा जाेखा तय किया गया तो उसने चित्रगुप्त की पूजा की थी अतः उसे नरक में नही रखा जा सकता था। अतः उसे स्वर्ग भी भेज दिया गया और उसके समस्त पापों का नाश हो गया।
Created On :   14 Feb 2018 9:23 AM IST