होलाष्टक: इन दिनों उग्र रूप में रहते हैं ये 8 ग्रह, ऐसे आती है नकारात्मकता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के काल को धर्मशास्त्रों में होलाष्टक कहा गया है। इस काल के दौरान शुभ कार्य वर्जित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 16 संस्कार जिनमें विवाह, मुण्डन आदि शामिल हैं इन दिनों करने से इसके विपरीत परिणाम होते हैं। इस संबंध में विस्तार से जानकारी हम आपको पहले ही दे चुके हैं। होलाष्टक आठ दिनों का होता है। ये होली के दिन समाप्त होता है। इन आठ दिनों को ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व बताया गया है। यहां हम आपको इस दिन से जुड़ी हुई विशेष बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
अष्टमी को चंद्रमा नवमीं को सूर्य दशमी को शनि एकादशी को शुक्र
द्वादशी को गुरू
त्रयोदशी को बुध
चतुर्दशी को मंगल
पूर्णिमा को राहु ग्रह उग्र लिए रहते हैं।
नकारात्मकता होती है प्रभावी
इस संबंध में कहा जाता है कि इसी वजह से पूर्णिमा के आठ दिनों पूर्व से ही मनुष्य पर भी इनका असर दिखाई देने लगता हैं उसका दिल-दिमाग अनेक तरह की आशंकाओं से घिर जाता है। नकारात्मकता उन्हें घेरने लगती है। इस वजह से भी इस दौरान विभिन्न शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। पूर्णिमा तिथि को रंग गुलाल के साथ ही इन ग्रहों का प्रभाव भी क्षीण होने लगता है। जिससे मनुष्य फिर से उचित निर्णय लेने में सक्षम होता है और नकारात्मकता के भाव से बाहर निकल आता है।
होलाष्टक की एक और मान्यता
एक अन्य मान्यता के अनुसार होलाष्टक के दिन से होलिका दहन तक उसी स्थान पर जहां होलिका दहन किया जाना है पेड़ से टूटी हुई लकड़ियों को एकत्रित किया जाता है। इससे पहले वहां गंगा जल छिड़का जाता है। इसके पश्चात वहा सूखे उपले, सूखी घास और होलिका के लिए लकड़ियां की जाती है। होलाष्टक समाप्त होने तक वहां लकड़ियां एकत्रित हो जाती हैं जिससे होलिका दहन किया जाता है।
Created On :   22 Feb 2018 8:18 AM IST