अंगारकी चतुर्थी 2018 : इस मंत्र के जप से मिलेगा लाभ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर माह कृष्ण पक्ष के चौथे दिन जो चतुर्थी आती है उसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वैसे तो चतुर्थी माह में दो बार आती है, पर शुक्ल पक्ष की चतुर्थी "विनायक चतुर्थी" कहलाती है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी "संकष्टी चतुर्थी" कहलाती है। जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। इस चतुर्थी को अतिशुभकारी माना जाता है। इस दिन गणेशजी का व्रत किया जाता है। उनकी उपासना कर उनसे लाभ प्राप्त करने का दिन है अंगारकी चतुर्थी।
मान्यता है कि मंगल देव के कठिन तप से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उन्हें वरदान दिया कि चतुर्थी तिथि अगर मंगलवार को पड़े तो उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा, और इस दिन व्रत को करने से पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत करने का फल प्राप्त होगा। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी काम बिना किसी विघ्न के संपूर्ण हो जाते हैं। भक्तों को गणेश जी की कृपा से सारे सुख प्राप्त होते हैं।
ऐसी मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत रखने से पूरे साल भर शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन गौरी पुत्र गणेश के लिए व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त होता है।
कैसे करें अंगारकी चतुर्थी पर पूजा
अंगारकी चतुर्थी के दिन गणेश जी के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर गणेश जी की पूजा के समय धूप जलाकर गणेश जी को पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
व्रत के दौरान क्या खाएं
इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति आती है और व्यक्ति को अच्छी बुद्धि, धन-धान्य की प्राप्ति होती है। व्रत के दौरान दिन में फल, जूस, मिठाई खाने का विधान है। शाम को पूजा के बाद फलाहार किया जाता है। जिसमें साबूदाना खिचड़ी, राजगिरा का हलवा, आलू मूंगफली, सिंघाड़े के आटे से बनी चीजें खा सकते हैं। सभी चीजें सेंधा नमक में बनायी जाती हैं।
अंगारकी चतुर्थी पर गणेश जी के इस मंत्र का करें जप
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
Created On :   3 April 2018 9:41 AM IST