इन कार्यों के लिए श्रेष्ठ है भीष्माष्टमी, जीवितों को भी मिलेगा इसका फल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब सूर्यदेव दक्षिणदिशा में भ्रमण करते हैं तो इसे उत्तम नही माना जाता। किसी भी शुभ कार्य के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया जाता है। इसके पश्चात ही शुभ एवं मंगल कार्य प्रारंभ होते हैं। इस काल के महत्व का वर्णन भीष्म पितामह के इस वर्णन के प्राण त्यागने के वर्णन से भी मिलता है।
भीष्माष्टमी पितामह भीष्म की स्मृति में ही मनायी जाती है। जो कि इस बार 25 जनवरी 2018 मनायी जा रही है। इस दिन के महत्व के बारे में हम आपको पहले भी बता चुके हैं, किंतु यहां हम आपको इस दिन किए जाने वाले विशेष कार्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
अष्टमी के दिन श्राद्ध
जब सूर्यदेव उत्तर दिशा में वापस आ रहे थे तब भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागे। भीष्म अष्टमी के दिन लोग उनके लिए एकोदिष्ट श्राद्ध करते हैं। यह श्राद्ध उन्हें करने की सलाह दी जाती है जिनके पिता का गमन इहलोक से उहलोक की ओर हो चुका है।
जीवितों को भी प्राप्त होता है पुण्य
वहीं कुछ का ऐसा भी मानना है कि किसी भी पिता के लिए यह कर्म किया जा सकता है। इसका पुण्य मृतकों के साथ जीवितों को भी प्राप्त होता है।
न्यायप्रिय एवं प्रतिज्ञावान बनने की प्रेरणा
भीष्माष्टमी के दिन नियमानुसार कर्म करने से पितामह भीष्म के ही समान नियमों का पालन करने, न्यायप्रिय एवं प्रतिज्ञावान बनने की प्रेरणा मिलती है। पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि द्रोपदी के चीरहरण के अवसर पर भीष्म पितामह का मौन रहना ही उनका एकमात्र अपराध था, जिसके बारे में भगवान कृष्ण उन्हें बताते हैं। यदि अष्टमी की इस तिथि को नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति अपने जीवन में सही निर्णय लेने में भी सक्षम बनता है। मनुष्य जीवन के प्रत्येक कार्य को निष्ठा से करता है।
Created On :   24 Jan 2018 9:48 AM IST