हनुमान जयंती विशेष : सुंदरकांड के पाठ से मिलेंगे लाभ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय सुंदरकांड है। वैसे तो रामचरित मानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए हैं, लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक बताया गया है।
कोई भी परेशानी हो, काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या, सभी को दूर करने के लिए सुंदरकाण्ड का पाठ किया जाता है। जहां एक ओर पूर्ण रामचरितमानस में भगवान राम के गुणों को दर्शाया गया है, उनकी महिमा बताई गई है लेकिन दूसरी ओर रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। इसमें भगवान राम के गुणों की नहीं बल्कि उनके भक्त के गुणों और उसकी विजय के बारे में बताया गया है।
बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा के अलावा सुंदरकाण्ड का पाठ भी सबसे अच्छा उपाय है। इससे उनकी कृपा बहुत जल्दी प्राप्त होती है। दुखों को हरने और मानसिक शांति के लिए भी यह पाठ किया जाता है। हनुमान जी के प्रसन्न होने के साथ ही इस पाठ से श्रीराम की भी कृपा मिलती है।
सुंदरकांड पाठ के नियम
सुंदरकांड का नियमित पाठ करना हर प्रकार से लाभदायक होता है, लेकिन यह पाठ तभी फलदायी होता है, जब निर्धारित विधि-विधानों का पालन किया जाए।
- सुंदरकांड का पाठ स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके करना चाहिए।
- सुंदरकांड का पाठ सुबह या शाम के चार बजे के बाद करें, दोपहर में 12 बजे के बाद पाठ न करें।
- पाठ करने से पहले चौकी पर हनुमानजी की फोटो अथवा मूर्ति रखें।
- घी का दीया जलाएं, भोग के लिए फल, गुड़-चना, लड्डू या कोई भी मिष्ठान अर्पित करें।
- पाठ के बीच में न उठें, न ही किसी से बात करें।
- सुंदरकांड प्रारंभ करने के पहले हनुमानजी व भगवान रामचंद्र जी का आवाहन जरूर करें।
- सुंदरकांड समाप्त हो जाए, तो भगवान को भोग लगाकर, आरती करें, उसके बाद उनकी विदाई भी करें।
Created On :   31 March 2018 8:45 AM IST