महाभारत में दान किया शीश, यहां खाटू श्यामजी मेले की धूम

Khatu Shyam ji Mela The Mandir or Temple situated in the Sikar
महाभारत में दान किया शीश, यहां खाटू श्यामजी मेले की धूम
महाभारत में दान किया शीश, यहां खाटू श्यामजी मेले की धूम


डिजिटल डेस्क, जयपुर। खाटू श्याम बाबा राजस्थान में विशेष पूज्यनीय हैं। इनका मेला फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरू होकर द्वादशी तिथि तक लगातार पांच दिनों तक चलता है। राजस्थान में इस मेले का विशेष महत्व है और दूर-दूर से लोग इसमें शामिल होने के लिए आते हैं। खाटू श्याम बाबा के दर्शनों का विशेष दिन फाल्गुन शुक्ल की ग्यारस को माना जाता है। इन दिनों भजन-कीर्तन की धुन हर ओर गुंजायमान होती है। सीकर स्थित खाटू श्याम बाबा का मंदिर लगभग दुनियाभर में प्रसिद्ध है। 
 

बनना चाहते थे युद्ध के साक्षी
पौराणिक मान्यता के अनुसार  खाटू श्याम बाबा ने महाभारत काल में घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक के रुप में अवतार लिया था। भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र होने की वजह से वे बचपन से ही अत्यंत बलशाली थे। महाभारत युद्ध का साक्षी बनने की कामना से वे अपनी माता से आज्ञा लेकर वहां चले गए। उनके पास अग्निदेव का दिया धनुष एवं शिव के दिए तीन बाण थे। इनके बल पर वे युद्ध जीतने में सक्षम थे। उनकी वीरता देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी परीक्षा लेना चाही और ब्राम्हण रुप धारण कर बर्बरिक से उनका सिर मांगा। धर्मपरायण बर्बरिक ने उन्हें खुशी-खुशी अपना शीश दे दिया। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सदैव ही श्याम नाम से पुकारे जाने का वरदान दिया। 

 

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कुंड में स्नान से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं
युद्ध समाप्त होने पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनका सिर रूपवती नदी को समर्पित कर दिया। इसके बाद खाटू गांव के राजा को स्वप्न में श्याम कुंड के चमत्कारों के बारे में पता चला। इसके पश्चात फाल्गुन माह में खाटू श्याम मंदिर की स्थापना की गई। 1720 के करीब दीवान अभयसिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। यह मंदिर आज भी जस का तस है। इस मंदिर की मान्यता सर्वाधिक है कहा जाता है कि जो भी इस कुंड में स्नान करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 
 

Created On :   22 Feb 2018 8:50 AM IST

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