प्रयाग : देवतागण ग्रहण करने आते हैं इस दिन यज्ञ में दिया गया द्रव्य

डिजिटल डेस्क, प्रयाग। मान्यता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर यज्ञ में दिया गया द्रव्य ग्रहण करने स्वयं देवता गण आदि धरती पर प्रकट होते हैं। इसी मार्ग से मृत पुण्य आत्माएं देह छोड़कर स्वर्गलोेक की ओर प्रस्थान करती हैं। धर्म शास्त्रों में इस दिन को लेकर अत्यधिक मान्यता है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर ब्रम्हमुहूर्त में स्नान, दान, जप, हवन आदि से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति 14 जनवरी 2018 को मनायी जाएगी।
तिल, गुड़, मूंगफली, चावल, खिचड़ी आदि दान
मकर संक्रांति का दान पुनर्जन्म होने पर सौ गुना अधिक मिलता है। लोग गंगादि नदियों में पवित्र स्नान करके तिल, गुड़, मूंगफली, चावल, खिचड़ी आदि दान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन ब्राम्हणों को शाॅल, कंबल आदि दान करने का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के बारे में कहा गया हैः
प्रयाग राज शार्दुलं त्रिषु लोकषु विश्रुत
तत् पुण्यतम नास्त्रि त्रिषु लोकषु भारत्।।
इसका अर्थ है प्रयागराज में सूर्य पुत्री यमुना, भागीरथी गंगा और लुप्तप्राय सरस्वती के संगम में जो व्यक्ति स्नान-ध्यान से कल्पवास करते हुए पूजा अर्चना करता है, गंगा की मिट्टी अपने माथे पर लगाता हैै। वह राजसूय व अश्वमेध यज्ञ के समान फल सहज ही पा जाता हैै।
उमड़ पड़ता है लोगों का हुजूम
तीर्थयात्री, साधु-संत और गृहस्थ प्रयाग के तट पर एक माह तक कल्पवास कर पुण्य स्नान व ईश्वर के ध्यान में मगन होकर भजन-कीर्तन करता है। माघ मास में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर तो जैसे हुजूम उमड़ पड़ता है। अन्य त्योहारों की तरह ही इसका भी अपना अलग ही महत्व है, किंतु इस दिन सूर्य को अघ्र्य देनरेर का पुण्य है वह भी गंगाजल में खड़े होकर।
आज भी जारी है परंपरा
अलग-अलग प्रांत अलग-अलग मान्यताएं, किंतु फिर भी यहां आने वालों की कमी कभी भी नही रहती। प्राचीन कालीन परंपरा आज भी निरंतर जारी है।

Created On :   9 Jan 2018 1:42 AM IST