कालाष्टमी 2018, विशेष फल के लिए इस विधि से करें इनकी पूजा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल के प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी आती है। इस वर्ष यह माघ माह में सोमवार 8 जनवरी 2018 को पड़ रही है। कालाष्टमी, जैसा की नाम से स्पष्ट है इस दिन भगवान भैरव जी की पूजा एवं व्रत करने का महत्व है। वेद-पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है।
पौराणिक कथा
कालभैरव हाथ में दंड लिए हुए हैं। इनका अवतरण भगवान शिव के क्रोध से हुआ है। अतः ये दुष्टों का संहार करने वाले माने गए हैं। इनकी सवारी श्वान है। हाथ में दंड होने की वजह से ही इन्हें दण्डाधिपति भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव का ब्रम्हदेव ने अपमान कर दिया। जिससे महादेव को क्रोध आ गया और पूरे ब्रम्हाण्ड में कंपन होने लगा। इसकी क्रोध से भैरव का जन्म हुआ। बाद में ब्रम्हदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने अपनी भूल की क्षमा याचना की। ऋषि मुनियों और तपस्वियों ने शिव की आराधना की, जिसके बाद उनका का्रेध शांत हुआ।
पूजा विधि एवं व्रत
कालभैरव साक्षात काल के भी काल बताए गए हैं। इनका पूजन करने से मृत्यु का भी भय नही रहता। सभी कष्ट दूर होते हैं और भूत, प्रेत, पिशाच व बुरी शक्तियां छूकर भी नहीं गुजरतीं। भैरव की उपासना करने वाला सदैव ही स्वतंत्र विचरण करता है। उसकी भगवान भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
वैसे तो इनकी पूजा साधारण रूप से भी की जा सकती है, किंतु यदि आप किसी विशेष फल की प्राप्ति के लिए इनका पूजन कर रहे हैं तो विधि-विधान के अनुसार विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें। अन्यथा इसके विपरीत परिणाम देखने मिल सकते हैं। रात्रि जागरण कर माता पार्वती और शिव का पूजन भी कालाष्टमी पर फलदायी बताया गया है। कालभैरव की पूजा करने से माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त हाेता है क्योंकि कालभैरव शिव का ही रूप है।

Created On :   5 Jan 2018 10:07 AM IST