नर्मदा जयंती आज : अस्थियां बन जाती हैं पाषाण, जानें कैसे हुआ नर्मदा का जन्म

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ शुक्ल की सप्तमी अति पुण्यदायिनी बताई गई है। इस दिन मां नर्मदा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। बताया जाता है कि यही वह दिन है जब मां नर्मदा का अवतरण एक 12 वर्ष की कन्या के रूप में पृथ्वी पर हुआ था। इस वर्ष नर्मदा जयंती 24 जनवरी 2018 बुधवार अर्थात आज है।
नर्मदा परिक्रमा
नर्मदा जयंती प्रतिवर्ष मनायी जाती है। अमरकंटक से प्रवाहित होकर यह नदी लाखों जीवों का उद्धार करते हुए बहती है। अन्य नदियों में सिर्फ नर्मदा ही जिसकी परिक्रमा की जाती है। नर्मदा परिक्रमा का महत्व पुराणों में भी बताया गया है। हर साल हजारों भक्त नर्मदा परिक्रमा कर पुण्य प्राप्त करते हैं।
देवताओं के पाप धोने
भगवान शंकर ने स्वयं मां नर्मदा को अजर-अमर होने का वरदान दिया है। ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि नर्मदा में विसर्जित की गई अस्थियां पाषाण में परिवर्तित हो जाती हैं। पुराणों में वर्णन मिलता है कि के अंधकासुर के वध के दौरान देवताओं से बहुत पाप हो गए थे। जिसका निवारण ढूंढने के लिए वे तपस्या में लीन शिव के पास पहुंचे, जिसके बाद भगवान शिव की कृपा से नर्मदा का जन्म हुआ। इसलिए हर साल स्वयं मां गंगा भी स्वयं काे पवित्र करने नर्मदा स्नान करने आती हैं।
दर्शनों का पुण्य
ऐसी भी मान्यता है कि शिव के पसीने की बूंद से मैकल पर्वत पर एक नदी बहने लगी, जिसे नर्मदा के नाम से जाना गया। नर्मदा का जब अवतरण हुआ तो वे अति रूपवान थीं, जिसकी वजह से ही उनका नामकरण नर्मदा कर दिया गया। नर्मदा के दर्शन मात्र का पुण्य भक्तों को प्राप्त होता है। अनेक पुण्य कर्म तर्पण, यज्ञ आदि नर्मदा के तट पर करना उत्तम बताया गया है। भारत की धार्मिक नदियों में नर्मदा नदी को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। मां नर्मदा को चुनरी चढ़ाने का भी बहुत महत्व बताया गया है, जिससे कि हर साल ही भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं और चुनरी चढ़ाते हैं।

Created On :   23 Jan 2018 9:08 AM IST