साल 2017 का अंतिम व्रत 'शनि प्रदोष' 30 को, जानें इसका महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2017 का अंतिम व्रत या त्योहार 30 दिसंबर को पड़ रहा है। इस दिन शनिवार को प्रदोष व्रत है। शिवभक्तों के लिए इस व्रत का अत्यंत महत्व है। हिंदू धर्म और पौराणिक ग्रंथों में भी इस व्रत के संबंध में बताया गया है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। आमतौर पर इसे महिलाएं धारण करती हैं, किंतु इसे सभी रख सकते हैं।
प्राप्त होते हैं पुण्य फल
क्योंकि इस व्रत के भगवान शिव ही माने गए हैं अतः यह पूरा दिन भोलेशंकर की आस्था और पूजा अर्चना का दिन है। शिव के साथ ही इस दिन माता शक्ति अर्थात देवी पार्वती की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से शुभ एवं पुण्य फल प्राप्त होते हैं। साथ ही पूर्व में किए गए आपके दोष भी समाप्त होते हैं।
दक्षिण भारत में प्रदोषम
दक्षिण भारत में वैसे तो अलग ही परंपराएं देखने मिलती हैं, किंतु वहां प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। यह व्रत चंद्रमास की दोनों त्रयोदशी पर किया जाता है। एक शुक्ल पक्ष जबकि दूसरा कृष्ण पक्ष के समय आता है।
दिन के अनुसार और अधिक फलदायी
जब सोमवार को यह व्रत पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष कहा गया है अर्थात इस दिन इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मंगलवार को भौम प्रदोष व शनिवार को शनि प्रदोष। इसी प्रकार अन्य दिनों के अनुसार अन्य नाम भी हैं। किंतु इसका महत्व दिन के अनुसार और अधिक फलदायी बताया गया है।
वेदों के ज्ञाता व शिव के परम भक्त
मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को गंगा के तट पर सूत जी महाराज ने अन्य ऋषियों को बताया था। वे वेदों के ज्ञाता व शिव के परम भक्त थे।
Created On :   19 Dec 2017 9:43 AM IST