बंद कपाट के पीछे भी होती है बदरीनाथ की पूजा, विजयदशमी काे तय हाेगी तिथि
डिजिटल डेस्क, चामोली। श्री बदरीनाथ धाम में भी विजय दशमी की तैयारी जोरों पर हैं। बदरी धाम के कपाट बंद होने की तिथि विजय दशमी पर तय की जाएगी। कार्यक्रम आयोजन के लिए मंदिर समिति ने तैयारी पूरी कर दी है। सभी वरिष्ठ पुजारी और मुख्य पुजारी के मार्गदशन में यह तय करेंगे।
प्रतिवर्ष होती है घोषित
बदरी धाम में प्रतिवर्ष विजय दशमी को कपाट बंद करने की तिथि घोषित होती है। इसके लिए मुख्य पुजारी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में धर्माधिकारी व वेदपाठ दिन निकालते हैं, जिन्हें अंतिम रूप मुख्य पुजारी देते हैं। शीतकाल के लिए बदरीनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
चार धाम में से एक
श्री बदरीनाथ मंदिर जिसे श्री बदरीनाथ नारायण मंदिर के नाम से भी जाता है। अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बदरी को समर्पित है। यह चार धाम में से एक है। ऋषिकेश से यह 294 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है।
गंगा की धारा
ये पंच बदरी में से एक हैं। उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार तथा पंच प्रयाग पौराणिक दृष्टि से तथा हिन्दू धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुईए तो यह 12 धाराओं में बंट गई। इस स्थान पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई और यह स्थान बदरी धाम के नाम से, यह स्थान भगवान विष्णु का वास बना
सर्दियाें में इनके पास हाेता है पूजा का अधिकार
भगवान बदरीनाथ सिर्फ गर्मियों के 6 माह ही भक्तों को दर्शन देते हैं। शेष 6 माह तक उनके कपाट बंद रहते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान भी उनकी विधि-विधान से पूजा आराधना होती है। इंसानों के यहां जाने की मनाही होती है, लेकिन बंद कपाट के पीछे सर्दियों में उनकी पूजा का अधिकार देवताओं और मां लक्ष्मी के पास होता है। यहां बदरीनाथ भगवान साक्षात रूप में विराजमान हैं जिसकी वजह से ऐसी मान्यता है।
Created On :   29 Sep 2017 4:17 AM GMT