नव ग्रह दोष के लक्षण, मंत्र एवं उपाय जो बदल सकते हैं आपका भाग्य
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त है। कई बार उसे पता भी नहीं होता कि वो किस वजह से परेशानियों से घिरा है। कभी-कभी बिना बात के घर में क्लेश होने लगता है, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु बिना किसी कारण के ही परेशान करने लगते हैं, स्वास्थ्य हमेशा खराब बना रहता है, मान-सम्मान में कमी आ रही है, बच्चे की बुद्धि का विकास नहीं हो रहा है तो समझ जाना चाहिए कि आप नवग्रह दोष से ग्रस्त हैं। इसके लिए कुछ उपाय किए जाते हैं जिनसे आप नवग्रह के दोषों से मुक्त हो जाते हैं।
तो आइए जानते हैं क्या हैं नवग्रह दोष के लक्षण और उससे निजात पाने के उपाय
सूर्य दोष के लक्षण :
यदि कोई व्यक्ति असाध्य रोगों के कारण परेशानी में हो, सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट सता रहे हों। सरकार के कर विभाग से परेशानी हो, नौकरी में बाधा आ रही है तो ऐसा व्यक्ति सूर्य दोष से ग्रस्त है। ये सभी लक्षण सूर्य दोष के हैं।
सूर्य दोष से बचने के उपाय :
भगवान विष्णु की आराधना करें।
"ऊं नमो भगवते नारायणाय" इस मंत्र का लाल चंदन की माला से 1 माला जाप करें।
कोई भी कार्य गुड़ खाकर पानी पीकर ही आरंभ करें।
बहते जल में 250 ग्राम गुड़ प्रवाहित करें।
सवा पांच रत्ती का माणिक, तांबे की अंगूठी में बनवाएंऔर रविवार को सूर्योदय के समय दाएं हाथ की मध्यमा अंगूली में धारण करें।
मकान के दक्षिण दिशा के कमरे में अंधेरा रखें।
पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करें।
घर में मां, दादी का आशीर्वाद जरूर लें लाभ होगा।
मंत्र : ऊँ ह्रॉ,ह्रीं,ह्रौ,स: सूर्याय नम:
इस मंत्र का जप 7000 बार करें इसके बाद दशांंश हवन अवश्य करें।
चंद्रमा दोष के लक्षण :
यदि कोई व्यक्ति जुखाम, पेट की बीमारियों से परेशानी में हो। घर में असमय पशुओं की मत्यु हो रही हो। अकारण ही शत्रु बढ़ रहे हों। धन की हानि हो रही हो तो ये लक्षण चंद्रमा दोष के लक्षण हैं। ऐसे व्यक्ति को चंद्रमा दोष से बचने के उपाय करना चाहिए।
चंद्रमा दोष से बचने के उपाय :
भगवान शिव की आराधना करें।
"ऊँ नम शिवाय" इस मंत्र का रूद्राक्ष की माला से 11 बार जाप करें।
दस आंश हवन अवश्य करवा लें।
बड़े-बुजुर्गों, ब्रह्मणों, गुरूओं का आशीर्वाद लें।
सोमवार को सफेद कपड़े में मिश्री बांधकर जल में प्रवाहित करें।
चांदी की अंगूठी में चार रत्ती का मोती सोमवार को दाएं हाथ की अनामिका में धारण करें।
शीशे के गिलास में दूध या पानी पीने से परेहज करें।
28 वर्ष के बाद ही विवाह का निर्णय लें।
लाल रंग का रुमाल हमेशा जेब में रखें।
माता-पिता की सेवा से विशेष लाभ प्राप्त होगा।
मंत्र : ऊँ श्रां श्री श्री सः चन्द्रमसे नमः
इस मंत्र का जप 1,10,000 की बार करें या किसी से करवा भी सकते हैं।
मंगल दोष के लक्षण :
यदि घर में चोरी होने का डर सता रहा हो, घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े की आशंका हो, भाई के साथ संबंधों में अनबन हो रही हो, दांपत्य जीवन में तनाव, अकाल मृत्यु की आशंका हो तो ऐसे जातकों को मंगल दोष का निवारण करना चाहिए।
मंगल दोष से बचने के उपाय :
भगवान हनुमान की आराधना करें।
"ऊं हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट कपिभ्यो नम:" इस मंत्र का 1 माला जाप करें और साथ ही हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का रोज पाठ करें।
त्रिधातु की अंगुठी बाएं हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करें।
400 ग्राम चावल दूध से धोकर 14 दिन तक पवित्र जल में प्रवाहित करें।
घर में नीम का पौधा लगाएं।
बहन, बेटी, मौसी, बुआ, साली को मीठा खिलाएं
घर की बहन-बेटी को कपड़े भेंट न करें।
तंदूर की बनी रोटी कुत्तों को खिलाएं अवश्य लाभ होगा।
मंत्र - ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
इस मंत्र का जाप करें या करने में असमर्थ हों तो किसी से करवा लें। इसके बाद दशांश हवन अवश्य करें।
बुध दोष के लक्षण :
यदि स्वभाव में चिड़चिड़ापन हो, जुए-सट्टे के कारण धन की बड़ी हानि हो रही हो, दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी हो रही हो, सिर दर्द के कारण अधिक तनाव की स्थिति बनी रहती हो तो ये लक्षण बुध दोष के होते हैं।
बुध दोष से बचने के उपाय :
मां दुर्गा की आराधना करें।
"ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" इस मंत्र का 5 माला जाप करें और देवी के सामने अखंड घी का दीया जलाएं। घर की पूर्व दिशा में लाल झंडा लगाएं।
सोने के आभूषण धारण करें।
हरे रंग से परहेज करें।
खाली बर्तनों को ढ़ककर न रखें।
चौड़े पत्ते वाले पौधे घर में लगायें, मुख्य द्वार पर पांच पेड़ों के पत्तों का तोरण लगाएं।
100 ग्राम चावल, चने की दाल बहते जल में प्रवाहित करें शीघ्र लाभ होगा।
मंत्र : ऊँ ब्रां ब्रीं बौं सः बुधाय नमः
इस मंत्र का 9000 बार जप करें या किसी से करवा लें। इसके बाद दशांश हवन करें।
गुरू दोष के लक्षण :
यदि सोने की हानि या चोरी की आशंका हो, उच्च शिक्षा की राह में बाधाएं आ रही हों, झूठे आरोप के कारण मान-सम्मान में कमी आ रही हो, पिता को हानि होने की आशंका हो रही है तो ये लक्षण गुरू दोष के होते हैं।
गुरू दोष से बचने के उपाय :
परमपिता ब्रह्मा की आराधना करें।
बहते पानी में बादाम, तेल, नारियल प्रवाहित करें।
माथे पर केसर का तिलक लगायें।
सोने की अंगूठी में सवा पांच रत्ती का पुखराज गुरूवार को दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें।
पूजा स्थल की नियमित रूप से सफाई करें।
पीपल के पेड़ पर 7 बार पीला धागा लपेटकर जल दें।
600 ग्राम पीली चने की दाल का मंदिर में दान दें।
जुए-सट्टे की लत न पालें, मांसाहार-मद्यपान से परहेज करें।
कारोबार में भाई का साथ लाभकारी संबंध मधुर बनायें रखें।
मंत्र : ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः
इस मंत्र का जप 19000 की बार करें या किसी से करवा लें। इसके बाद दशांश हवन अवश्य करें, नहीं तो जप का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होगा।
शुक्र दोष के लक्षण :
यदि बिना किसी बीमारी के अंगूठे, त्वचा संबंधी रोगों से परेशानी हो रही हो, राजनीति के क्षेत्र में हानि, प्रेम व दापंत्य संबंधों में अलगाव हो, जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव बना रहता हो, तो आपको शुक्र दोष से बचने के उपाय करना चाहिए।
शुक्र दोष से बचने के उपाय :
मां लक्ष्मी की आराधना करें।
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसिद प्रसिद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: इस मंत्र का रोज रात में 1 माला जाप करें।
मां लक्ष्मी को कमल के पुष्पों की माला चढ़ाएं।
मंदिर में आरती पूजा के लिए गाय का घी दान करें।
2 किलो आलू में हल्दी या केसर लगाकर गाय को खिलाएं।
चांदी या मिट्टी के बर्तन में शहद भरकर घर की छत पर दबा दें।
आडू की गुटली में सूरमा भरकर घास वाले स्थान पर दबा दें।
शुक्रवार के दिन मंदिर में कांसे के बर्तन का दान करें।
लाल रंग की गाय की सेवा करें, 800 ग्राम जिमीकंद मंदिर में दान करें।
मंत्र : ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शु शुक्रय नमः
इस मंत्र का जप 1,60,000 की संख्या में करें या स्वयं करने में असमर्थ हों तो किसी से करवा लें। इसके बाद दशांश हवन करवा लें जिससे अवश्य लाभ प्राप्त होगा।
शनि दोष के लक्षण
यदि पैतृक संपत्ति की हानि हो रही है, हमेशा बीमारी से परेशान रहते हों, मुकदमे के कारण परेशानी हो रही हो, बनते हुए काम का बिगड़ रहे हों, तो ये लक्षण शनि दोष के होते हैं इसके लिए शनि दोष से बचने के उपाय करना चाहिए।
शनि दोष से बचने के उपाय :
भगवान भैरव की आराधना करें।
शनिदेव का 1 किलो सरसों के तेल से अभिषेक करें।
सिर पर काला तेल लगाने से परहेज करें।
43 दिन तक लगातार शनि मंदिर में जाकर नीले पुष्प चढ़ाएं।
कौआ या सांप को दूध, चावल खिलाएं।
किसी बर्तन में तेल भरकर अपना चेहरा देखें, बाद में बर्तन को जमीन में दबा दें।
शनिवार को 800 ग्राम दूध, उड़द जल में प्रवाहित करें।
जल में दूध मिलाकर लकड़ी या पत्थर पर बैठकर स्नान करें।
घर की छत पर साफ-सफाई का ध्यान रखें।
12 नेत्रहीन लोगों को भोजन कराएं अतीशीघ्र लाभ होगा।
मंत्र : ऊं प्रां प्रीं प्रौं शं शनिश्चराय नम:
इस मंत्र का 23,000 की सँख्या में जाप करें या किसी से करवा लें इसके बाद दशांश हवन करवा लें।
राहु दोष के लक्षण :
यदि मोटापे के कारण परेशान हों, अचानक दुर्घटना काशिकार हो जाएं, लड़ाई-झगड़े की आशंका हो, हर तरह के व्यापार में घाटा हो रहा हो तो ये लक्षण राहु दोष के होते हैं।
राहु दोष से बचने के उपाय :
मां सरस्वती की आराधना करें
"ऊं ऐं सरस्वत्यै नम:" इस मंत्र का 1 माला जाप करें।
तांबे के बर्तन में गुड़, गेहूं भरकर बहते जल में प्रवाहित करें।
माता से संबंध मधुर रखें।
400 ग्राम धनिया, बादाम जल में प्रवाहित करें या किसी रोगी को दान करें।
घर की दहलीज के नीचे चांदी का पत्ता लगाएं।
सीढ़ियों के नीचे रसोईघर का निर्माण न करवाएं।
रात में पत्नी के सिर के नीचे 5 मूली रखें और सुबह बकरी को खिला दें।
मां सरस्वती के चरणों में लगातार 6 दिन तक नीले पुष्प की माला चढ़ाएं।
चांदी की गोली हमेशा जेब में रखें।
लहसुन, प्याज, मसूर के सेवन से परहेज करेंगे तो संकट या कष्ट समाप्त होकर लाभ में परिवर्तित होगा।
मंत्र : ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौ सः राहवे नमः
इस मंत्र का जप 18,000 की सँख्या में करें या किसी से करवा लें। इसके बाद दशांश हवन करें।
केतु दोष के लक्षण :
यदि बुरी संगत के कारण धन की हानि हो रही है, जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, संतान का भाग्योदय नहीं हो रहा है, स्वास्थ्य के कारण तनाव की स्थिति बनी रहती है तो इसके लिए आपके केतु दोष निवारण के उपाय करना चाहिए।
केतु दोष से बचने के उपाय :
भगवान गणेश की आराधना करें।
"ऊं गं गणपतये नमः" इस मंत्र का 1 माला जाप करें।
गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करें।
कुंवारी कन्याओं का पूजन करें, पत्नी का अपमान न करें।
घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ तांबे की कील लगाएं।
पीले कपड़े में सोना, गेहूं बांधकर कुल पुरोहित को दान करें।
दूध, चावल, मसूर की दाल का दान करें।
बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में सोना पहनने से भी लाभ की प्राप्ति होगी।
43 दिन तक मंदिर में लगातार केला दान करें।
काले व सफेद तिल बहते जल में प्रवाहित करें अतिशीघ्र लाभ होगा।
मंत्र : ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
इस मंत्र का 17,000 की संख्या में जाप करें या किसी से करवा कर उचित दान दें और दशांश हवन करें।
Created On :   16 April 2018 6:46 AM GMT