प्रयाग के तट पर माघ मेले की धूम, ब्रम्हमुहूर्त से रात्रिकाल तक गंगा स्नान

डिजिटल डेस्क, प्रयाग। माघ माह को मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। तीर्थ राज प्रयाग में पवित्र माघ मेला 31 जनवरी काे माघ पूर्णिमा के पुण्य स्नान के बाद समाप्त हाेगा। यह 2 जनवरी 2018 को प्रारंभ हुआ था। इस माह में अाैर पूर्णिमा के दिन ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान अति शुभ बताया गया है। माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। इसका धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इस दिन दान, स्नान, ईश्वर की आराधना भक्ति एवं विधि-विधान से पूजन का अत्यंत ही पुण्यकारी एवं फलदायी माना गया है।
माघ मेले की परंपरा पुरातन
यह माह भी भगवान विष्णु की आराधना का है जिन्हें माधव नाम से जाना जाता है। यह धन संपत्ति के साथ ही मोक्ष दाता माना गया है। तीर्थ राज प्रयाग में माघ मेले की परंपरा पुरातन बतायी जाती है। इसे कल्पवास भी कहा जाता है। इस माह में गंगा स्नान का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। संगम के तट पर भगवान की आराधना ज्ञान में वृद्धि करने वाली बतायी जाती है। माघ मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु गंगा स्नन के लिए यहां पहुंचते हैं।
पूजा विधि
-भगवान विष्णु का पूजन करने के साथ ही पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है।
-सूर्यदेव को ब्रम्हमुहूर्त में स्नान के बाद अघ्र्य देना चाहिए।
-प्रातः स्नान अघ्र्य के बाद भगवान विष्णु के पूजन, व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
-पूर्णिमा के दिन मध्यान्ह काल में गरीबों को भोजन कराने के साथ दान करना उत्तम बताया गया है।
-पूर्णिमा पर ही काले तिल, तिल ब्राम्हणों को दान करना चाहिए। काले तिल से ही हवन करें। काले तिल से ही पितरों का तर्पण किया जाता है।
हाेता है ये भी शुभ संयाेग
माघ माह में मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, शीतला षष्ठी, वसंत पंचमी, अचला सप्तमी, एकादशी सहित अनेक त्योहार पड़ते हैं। जो भी प्रयाग में गंगा के तटों पर पूरे माह स्नान पूजन, हवन करता है वह इन सभी त्योहारों पर पुण्य, पूजन के महत्व को और बढ़ा लेता है। प्रत्येक दिन शुभ माना जाता है। पूरे माह किए गए जप तप का फल प्राप्त करने का दिन माघ पूर्णिमा ही माना जाता है।

Created On :   22 Dec 2017 9:34 AM IST