योग का अभ्यास सिखाता है सांस पर आंशिक नियंत्रण का उपयोग

The practice of yoga teaches us to partial control ourselves.
योग का अभ्यास सिखाता है सांस पर आंशिक नियंत्रण का उपयोग
योग का अभ्यास सिखाता है सांस पर आंशिक नियंत्रण का उपयोग


डिजिटल डेस्क । हमारा जीवन एक ही काम से शुरू और एक ही काम पर समाप्त हो जाता है। जीवन पहली सांस के साथ आरम्भ होता है और अंतिम सांस के साथ समाप्त हो जाता है। इस प्रकार हम इस जीवन और दुनिया से सांस के माध्यम से जुड़े हुए हैं। सांस लेना एक ऐसी कार्यप्रणाली है जिस पर हमारा आंशिक नियंत्रण होता है, हालांकि ये एक अनैच्छिक कार्य है। हमारा अनैच्छिक प्रणालियों और अंगों पर कोई नियंत्रण नहीं होता जैसे कि दिल या जिगर, लेकिन हमारे अंदर स्वांस को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। हालांकि हम अनिश्चित काल के लिए अपनी स्वांस को रोक कर नहीं रख सकते।
 
इसमें योग का अभ्यास उस आंशिक नियंत्रण का उपयोग करना सिखाता है, जो हमारे पास है। पंतजलि के आष्टांग योग में मोक्ष और ज्ञानोदय के लिए आठ मार्ग बताए गए हैं, जिनमें से एक प्राणायाम है यानि श्वसन का अभ्यास। प्राणायाम में व्यक्ति को आरामदायक मुद्रा में बैठना पड़ता है, जिसमें रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है और एक खास तरह से सांस अंदर खींची व बाहर छोड़ी जाती है। प्राणायाम के बहुत सारे प्रकार हैं, जिसमें एक नासिका छिद्र से सांस अंदर खीची जाती है, कुछ पल के लिए उसे रोक कर रखा जाता है और फिर छोड़ा जाता है, या तो उसी नासिका छिद्र से या दूसरे नासिका छिद्र से। श्वसन के कई प्रकारों में, सांस मुंह के माध्यम से अंदर खींची या छोड़ी जाती है।

 

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वैज्ञानिक कारण

श्वसन अभ्यास करने के बाद अधिकतर लोग तुरंत स्वस्थ महसूस करना शुरू कर देते हैं। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि गहरी सांस लेने से खून में ऑक्सीजन का अधिक जमाव होता है, जो कि बड़ी मात्रा में ऊतकों तक पहुंचती है। लेकिन यौगिक अभ्यास ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने से कहीं ज्यादा काम करते हैं। योग केवल शारीरिक प्रक्रिया नहीं है; यह आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है।

यौगिक प्राणायाम अत्याधिक ऊर्जा या प्राण को अपनी ओर खींचते हैं और फिर उसे शरीर में हर जगह पहुंचाते हैं। प्राण से मनुष्य का शरीर काम करता है। मृत्यु के समय प्राण शरीर त्याग देते हैं और जीवन का अंत हो जाता है। यदि श्वसन केवल ऑक्सीजन अंदर लेना या कार्बनडाईऑक्साइड बाहर छोड़ना होता, तो मृत शरीर में भी ऑक्सीजन देकर उसे जीवित किया जा सकता। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, ये संभव नहीं है। हम शरीर में कितनी भी ऑक्सीजन भर दें, मृत शरीर फिर से जीवित नहीं हो सकता।

 

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शारीरिक ढांचे की क्षमता बढ़ाता है

प्राण या श्वसन केवल हवा के रासायनिक मिश्रण से कुछ ज्यादा है। यह ब्रह्मांड की ऊर्जा है, इससे सबका जीवन है। ऊर्जा को प्रयोगशाला में बनाया नहीं जा सकता। हम अचेतन रूप से ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं। योग हमें इसे चेतना के साथ लेना और इच्छा से शरीर के अन्य केंद्रों व अंगों तक पहुंचाना सिखाता है। यह शारीरिक ढांचे की क्षमता बढ़ाता है और मन व इंद्रियों को नियंत्रित करने में सहायता करता है।

प्राचीन ग्रंथों में ये लिखा है कि प्रत्येक व्यक्ति गिनी हुई सांसों के साथ पैदा हुआ है। जब हम अपनी गिनती की सांसें ले लेते हैं तो जीवन का अंत हो जाता है। यौगिक श्वसन व्यायाम से हमारी श्वसन दर धीमी हो जाती है। ये एक कारण हो सकता है इस बात का कि क्यों प्रकृति ने हमें सांस पर आंशिक नियंत्रण दिया है, जो कि शरीर का एक स्वचालित कार्य हो सकता था। हमारे पास जीवन के बहुत से क्षेत्रों में अपने आप को शामिल करने का अवसर है।

जीवन वास्तव में विस्मयकारी रूप से सुंदर है लेकिन यह सांस लेने और छोड़ने से कहीं ज्यादा हो सकता है।

 

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Created On :   10 May 2018 12:34 PM IST

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