तंत्र-मंत्रों की काट, भगवान वराह जयंती आज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुरुवार को सिर्फ हरितालिका तीज का व्रत ही नहीं मनाया जा रहा, बल्कि इस दिन श्रीहरि ने दुष्टों के नाश के लिए भी वराह अवतार लिया था। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रीहरि ने वराह रूप धारण कर पृथ्वी को हिरण्याक्ष जैसे राक्षस के चंगुल से मुक्त कराया था। इसलिए यह तिथि वराह जयंती के रूप में विख्यात है। इस वर्ष यह जयंती 24 अगस्त को मनाई जा रही है। श्रीहरि के भक्तगण इस दिन श्रद्धा-भाव से भगवान विष्णु के वराह अवतार का शास्त्रोक्त विधि से पूजन करते और उपवास रखते हैं।
वराहवतार की पूजा से विभिन्न प्रकार के तंत्र-मंत्र की काट भी होती है। वराह जयंती के दिन भगवान वराह के मंत्रों का जप करने से सभी तरह के शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति के सौभाग्य में आ रही बाधाएं शांत होती हैं।
वध करने के लिया अवतार
भगवान ने महाअसुर हिरण्याक्ष का वध करने के लिए वराह अवतार लिया था। इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। हिरण्याक्ष के आतंक से धरती में त्राहि-त्राहि मची थी। धरती लोक के बाद उसने देवराज इन्द्रलोक को भी जीत लिया और जल देवता वरुण देव को युद्ध के लिए ललकारा। हिरण्याक्ष की बात सुन वरुण देव बोले, इस जगत में भगवान विष्णु से अधिक शक्तिमान कोई दूसरा नहीं है। यदि तुम अपनी श्रेष्ठता साबित करना चाहते हो तो उन्हें युद्ध में हराकर दिखाओ।
रसातल जा पहुंचा
यह सुनते ही हिरण्याक्ष भगवान विष्णु की खोज में निकल पड़ा। तभी उसे नारद मुनि से ज्ञात हुआ कि भगवान विष्णु वाराह अवतार लेकर धरती को रसातल से बाहर निकालकर अपने दांतों पर उठा कर समुद्र से बाहर ला रहे हैं। यह सुन हिरण्याक्ष रसातल जा पहुंचा। इसके पश्चात भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का संहार किया। यह दिन पृथ्वी के उद्धार का दिन भी माना जाता है।

Created On :   24 Aug 2017 9:02 AM IST