विजयदशमी पर होती है इस वृक्ष की विशेष पूजा, पढ़ें रोचक FACTS
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अश्विनी मास शुक्ल पक्ष की दशमी को विजय दशमी का त्योहार मनाया जाता है। ये बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन है। यह दिन भारतीय धर्म ग्रंथों में बहुत ही विशेष माना गया है। इसे भगवान श्रीराम की रावण एवं मां दुर्गा की शुंभ-निशुंभ पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है।
श्रीराम मां दुर्गा के साथ ही शस्त्र पूजा
इस दिन भगवान श्रीराम, मां दुर्गा के अतिरिक्त शमी के वृक्ष की भी पूजा की जाती है। यह शस्त्र पूजा के दिन के रूप में भी मनाया जाता है और विजयदशमी पर मां दुर्गा की पूजा कर शस्त्र पूजा की जाती है।
कुबेर ने पत्तियां काे बनाया स्वर्ण
इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा को लेकर मान्यता है कि भगवान श्रीराम को स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए धन कुबेर ने शमी के पत्तों को सोने का बना दिया था। तभी से शमी को धन प्रदान करने वाला वृक्ष माना जाने लगा और विजयदशमी पर इसकी पूजा का विधान प्रारंभ हुआ।
पत्ते और टूटी हुई डालियों की भी पूजा
यह वृक्ष अति तेजस्वी एवं टाेने-टाेटके के प्रभाव दूर करने वाला बताया गया है। इसलिए भी इस दिन शमी के वृक्ष उसके पत्ते और टूटी हुई डालियों की भी पूजा की जाती है। विजयदशमी पर शमी के वृक्ष पर जल अर्पित कर उसकी मिट्टी को घर में पवित्र स्थान पर रखने से घर में सुख समृद्धि एवं खुशियों का आगमन होता है।
भगवान राम ने की थी विजय की पूजा
ऐसा भी कहा जाता है कि रावण पर विजय पाने के पूर्व भगवान श्रीराम ने शमी का पूजन किया था एवं अपनी विजय की प्रार्थना की थी इसलिए इसे दृढ़ता एवं शक्ति का प्रतीक माना जाता है। पांडवाें ने महाभारत से पूर्व अज्ञातवास के दाैरान अपने शस्त्र इसी के नीचे छिपाए थे।
Created On :   14 Feb 2018 4:43 AM GMT