Rambha tritiya 2025: कल रखा जाएगा रंभा तृतीया व्रत, इस विधि से करें पूजन, जानिए मुहूर्त

- माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है
- इस व्रत को करने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है
- अविवाहित लड़कियां अच्छे वर प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर साल के ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तृतीया (Rambha Tritiya) का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा अर्चना करने से सौभाग्य, समृद्धि के साथ ही पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और बुद्धिमान संतान की प्राप्ति के लिए ये व्रत रखती हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां इच्छानुसार वर प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सौभाग्य प्राप्ति के लिए रंभा ने इस व्रत को किया था। इसलिए इसे व्रत को रंभा तीज के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार रंभा तीज का व्रत 29 मई को रखा जाएगा। आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा विधि...
तृतीया तिथि कब से कब तक
तृतीया तिथि आरंभ: 28 मई 2025, बुधवार की रात 1 बजकर 54 मिनट से
तृतीया तिथि समापन: 29 मई 2025, गुरुवार की रात 11 बजकर 18 मिनट तक
पूजा का ब्रह्म मुहूर्त: 29 मई की सुबह 4 बजकर 03 मिनट से 4 बजकर 44 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक
रंभा तृतीया व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रंभा एक अप्सरा थीं, जिनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी बताया जाता है कि रंभा तीज व्रत करने वाली महिलाएं निरोगी रहती हैं। उनकी उम्र जिस तरह से बढ़ती है उसी तरह से उनकी सुंदरता भी बढ़ती है। माना जाता हैं कि रंभा तीज या रंभा तृतीया व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पति की उम्र बढ़ती है। इस दिन व्रत रखने और दान करने से मनोकामना पूरी होती है।
रंभा तृतीया पूजा विधि
- रंभा तृतीया के दिन सुबह उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- पूजा के लिए घी के पांच दीपक लगाएं।
- मां पार्वती को कुमकुम, चंदन, हल्दी, मेहंदी, लाल फूल, अक्षत और अन्य पूजा सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
- भगवान शिव अग्निदेव और गणेश जी को अबीर, गुलाल, चंदन और अन्य सामग्री चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।
Created On :   28 May 2025 4:37 PM IST