Film Review: महामारी में सरकारी तंत्र पर प्रहार करती "कुसुम का बियाह"

महामारी में सरकारी तंत्र पर प्रहार करती  कुसुम का बियाह
  • वास्तविक घटना पर आधारित फ़िल्म में कॉमेडी , इमोशन के साथ मनोरंजन
  • फ़िल्म समीक्षा ; कुसुम का बियाह
  • आर्टिस्ट्स ; सुजाना दार्जी, लवकेश गर्ग, राजा सरकार, सुहानी बिस्वास, प्रदीप चोपड़ा, पुण्य दर्शन गुप्ता, रोज़ी रॉय
  • प्रोड्यूसर: प्रदीप चोपड़ा, बलवंत पुरोहित
  • डायरेक्टर: शुवेंदु राज घोष
  • बैनर: आई लीड फिल्म्स, बलवंत पुरोहित मीडिया
  • अवधि ; 90 मिनट
  • सेंसर ; यू सर्टिफिकेट
  • रेटिंग : 4 स्टार्स

सदी की सबसे बड़ी महामारी कोविड से इंसान की जिंदगी वापस पटरी पर आ गयी हैं लेकिन इसकी कई दुखद यादें मानव इतिहास में लम्बे समय तक बनी रहेगी । इस सप्ताह शुक्रवार को सिनेमागृहो में रिलीज हो रही फ़िल्म "कुसुम का बियाह" एक ऐसी फ़िल्म हैं जो महामारी में सरकारी तंत्र के विफल होने के कारण एक मानवीय त्रुटि की घटना को बहुत ही मनोरंजक तरीके से पर्दे पर प्रस्तुत करती हैं

देश मे जब कोरोना वायरस के बढ़ते आंकड़े की वजह से लॉकडाउन लगा था तो वह कई लोगों के लिए एक श्राप से कम नहीं था। लोगों की ज़िंदगी थम गई थी, लोग यहां वहां फंस गए थे और मजबूर व लाचार हो कर रह गए थे। फ़िल्म कुसुम का बियाह की कहानी भी उन्ही हालात की है। यह सिनेमा बिहार से झारखंड जा रही एक बारात के ऐसे हालात में फंस जाने की सच्ची घटना पर आधारित है।

बड़ी मुश्किलों के बाद फ़िल्म के हीरो सुनील (लवकेश गर्ग) की शादी तय होती है तो परिवार के लोग बहुत खुश होते हैं। लेकिन विडंबना देखिए कि शादी के दिन अचानक देश भर में लॉक डाउन की घोषणा हो जाती है। अब इस सिचुएशन में क्या घटनाएं घटती हैं, यही फ़िल्म का कथानक है। निर्देशक शुवेंदु राज घोष ने फिल्म "कुसुम का बियाह" को काफी रियलिस्टिक रखा है।

जहां तक एक्टिंग की बात है फ़िल्म के सभी कलाकारों ने अद्भुत काम किया है। निर्देशक शुवेंदु राज घोष का निर्देशन प्रभावशाली हैं । फ़िल्म के कई दृश्य पलकों में आंसू ले आते हैं तो कई डायलॉग या सिचुएशन में मुस्कान भी आती है। फ़िल्म में कुसुम की शीर्षक भूमिका सिक्किम की सुजाना दार्जी ने बखूबी निभाई है तो लवकेश गर्ग कुसुम के पति के चरित्र में स्वाभाविक अभिनय किया है। फ़िल्म में कुसुम के पिता के किरदार में प्रदीप चोपड़ा सबसे अधिक प्रभावित करते हैं । उनके अभिनय में स्वाभाविकता और नाटकीयता का ज़बरजस्त संतुलन हैं । फ़िल्म के कई दृश्य में आँखो में नमी ला देते हैं । फ़िल्म के एक दृश्य में वह ग्राम प्रधान से कुसुम की बारात के लिए जिलाधिकारी के परमिशन के लिए बहुत ही भावुक संवाद में कहते हैं कुसुम अपनी बिटिया की बारात फसी हैं प्रधान जी आप कुछ नहीं करेंगे । उनके इस दृश्य में एक बूढ़े पिता की मजबूरी और उसे इस मुश्किल से निकालने का प्रयास दोनो बहुत सशक्त तरीके से उभरकर पर्दे पर आता हैं इनके साथ राजा सरकार, सुहानी बिस्वास, प्रदीप चोपड़ा, पुण्य दर्शन गुप्ता, रोज़ी रॉय ने भी अपने अपने चरित्रों के साथ इंसाफ किया है।

विकाश दुबे और संदीप दुबे ने फिल्म की कहानी, पटकथा और संवाद बहुत ही अच्छे लिखे हैं। गीतकार संगीतकार भानु प्रताप सिंह ने कुछ अच्छी धुनें बनाई हैं। फ़िल्म के कार्यकारी निर्माता चंदन साहू, डीओपी सौरव बनर्जी और एडिटर राज सिंह सिधू हैं।

फ़िल्म कुसुम का बियाह इसके अद्भुत निर्देशन, कहानी कहने के अंदाज और कुछ स्वाभाविक एक्टिंग की वजह से देखने लायक है। सीमित बजट में महामारी की पृष्ठभूमि पर बनी फ़िल्म कुसुम का बियाह अभिनय , प्रस्तुति , संगीत और निर्देशन के दृष्टि से एक बहुत बढिया फ़िल्म हैं |

Created On :   26 Feb 2024 7:49 AM GMT

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