हीर एक्सप्रेस: जबरदस्त फैमिली एंटरटेनर, दिविता जुनेजा बनीं नई सनसनी, लोग अपने पेरेंटस, ग्रैंड पेरेंटस को साथ ला रहे हैं सिनेमा

चंडीगढ़, सितंबर 20: बॉलीवुड की नई रिलीज़ हीर एक्सप्रेस ने सिनेमाघरों में ऐसी धूम मचाई है कि हर शो में तालियों और सीटियों की गूंज सुनाई दे रही है। लंबे समय बाद दर्शकों ने किसी फिल्म को लेकर इतना उत्साह दिखाया है। खास बात यह है कि यह फिल्म केवल युवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों, माता-पिता और दादा-दादी—तीनों पीढ़ियों को एक साथ थिएटर तक खींच लाई है। यही वजह है कि इसे लोग “असली फैमिली मूवी” कहकर सराह रहे हैं।
थिएटरों का नज़ारा देखते ही बनता है। कई जगह बच्चे स्कूल से सीधे पहुंचे, तो बुज़ुर्ग सत्संग और मंदिर–गुरुद्वारे से लौटते हुए पोते–पोतियों का हाथ थामे थिएटर आ गए।
दर्शकों की आँखों में खुशी और नमी दोनों झलक रही थी। एक बुज़ुर्ग दर्शक ने भावुक होकर कहा – “आजकल इतनी साफ-सुथरी फिल्में बहुत कम बनती हैं। हीर एक्सप्रेस देखकर दिल को सुकून और पुरानी यादें दोनों मिल गईं।”
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसका पारिवारिक कंटेंट है। इसमें न गालियाँ हैं, न वल्गैरिटी और न ही कोई दिखावा। कहानी रिश्तों की मिठास, परिवार की गर्माहट और इमोशंस के उस समंदर से भरी है, जिसमें हर दर्शक खुद को डूबता हुआ महसूस करता है। यही कारण है कि हर उम्र का दर्शक इससे जुड़ रहा है और थिएटर से बाहर निकलते वक्त चेहरे पर मुस्कान और आँखों में नमी दोनों लेकर लौट रहा है।
फिल्म की जान बनी हैं इसकी लीड एक्ट्रेस दिविता जुनेजा। अपने पहले ही डेब्यू में उन्होंने ऐसा असर छोड़ा कि दर्शक और समीक्षक दोनों उनके कायल हो गए। दिविता स्क्रीन पर मासूमियत और आत्मविश्वास का ऐसा मेल लेकर आती हैं कि हर दृश्य असली लगने लगता है। कई जगह दर्शकों ने महसूस किया कि मानो हीर का किरदार पर्दे पर नहीं, बल्कि घर की बेटी, बहन या दोस्त बनकर सामने खड़ा हो। समीक्षकों का कहना है कि यह इस साल का सबसे यादगार और चमकदार डेब्यू है, जबकि युवा दर्शक उन्हें रोल मॉडल मान रहे हैं।
उनके साथ प्रीत कमानी का अभिनय भी बेहतरीन है। उनकी सादगी और नैचुरल एक्टिंग ने हीर के किरदार को और गहराई दी है। दोनों की ऑन-स्क्रीन कैमिस्ट्री फिल्म का सबसे मज़बूत पहलू है, जिसने दर्शकों को हँसाया भी और कई जगह आँसुओं से भर भी दिया।
फिल्म की मज़बूत कास्टिंग में आशुतोष राणा, गुलशन ग्रोवर, संजय मिश्रा और मेघना मलिक जैसे दिग्गज कलाकार शामिल हैं, जिन्होंने अपनी अदाकारी से कहानी को और मजबूती दी है। हर किरदार दर्शकों के दिल को छूता है और फिल्म को असली भावनात्मक ऊँचाई देता है।
निर्देशक उमेश शुक्ला, जो पहले भी फैमिली सिनेमा में अपनी पहचान बना चुके हैं, ने एक बार फिर साबित किया कि साफ-सुथरी और इमोशनल कहानियाँ भी बॉक्स ऑफिस पर बड़ा कमाल कर सकती हैं। उनकी निर्देशन शैली ने फिल्म को सिर्फ मनोरंजक ही नहीं बल्कि यादगार भी बना दिया है।
कुल मिलाकर, हीर एक्सप्रेस सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि दिलों को जोड़ने वाली रेलगाड़ी है। यह दर्शकों को याद दिलाती है कि परिवार ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
थिएटर से बाहर निकलते समय दिल भारी हो जाता है, आँखें नम हो जाती हैं, लेकिन चेहरे पर संतोष की मुस्कान भी होती है—जैसे कोई अधूरी कड़ी फिर से जुड़ गई हो।
हीर एक्सप्रेस ने साबित कर दिया है कि अच्छी और साफ-सुथरी कहानियाँ आज भी दर्शकों के दिल जीत सकती हैं और दिविता जुनेजा को बॉलीवुड का नया चमकता सितारा बना दिया है।
Created On :   20 Sept 2025 7:11 PM IST