Short Film Jwala: माँ-बेटी के रिश्ते और समाज की सच्चाई को उजागर करती फिल्म “ज्वाला”

माँ-बेटी के रिश्ते और समाज की सच्चाई को उजागर करती फिल्म “ज्वाला”

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। ​"पॉकेट फिल्म्स" द्वारा प्रस्तुत लघु फिल्म "ज्वाला" माँ और बेटी के भावनात्मक सफर को दर्शाती है, जो समाज के एक गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डालती है। यह फिल्म मंजरी नाम की 9 साल की बच्ची के जीवन में आए एक दुखद मोड़ को दिखाती है, जब उसे मासिक धर्म शुरू होता है और उसकी माँ ज्वाला उसे इस बदलाव के बारे में समझाती है।

​फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ज्वाला को अपने ससुराल वालों, खासकर अपनी सास और पति के भाई (ताऊ) के ताने सुनने पड़ते हैं, क्योंकि उसके बच्चे नहीं हैं और वह एक बच्ची को जन्म देती है। वहीं, ज्वाला का पति सरहद पर देश की सेवा कर रहा है, और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।

​कहानी में एक भयानक मोड़ तब आता है जब मंजरी के पेट में दर्द होता है और उसकी माँ उसे डॉक्टर के पास ले जाती है। डॉक्टर यह खुलासा करते हैं कि मंजरी गर्भवती है। सदमे में आई ज्वाला अपनी बेटी से पूछती है कि उसके साथ क्या हुआ, और मंजरी बताती है कि उसके ताऊ ने उसके साथ गलत हरकत की। वह बताती है कि ताऊ उसे एक झोपड़ी में ले गया, उसे चॉकलेट दी, और चॉकलेट खाने के बाद उसे चक्कर आने लगे, जिसके बाद उसे कुछ भी याद नहीं रहा।

​यह घटना होली के दिन होती है, और जब ज्वाला का जेठ (ताऊ) दरवाजा खटखटाता है, तो वह और मंजरी घर से बाहर निकलकर समाज के सामने उस दरिंदे का पर्दाफाश करती हैं, जिसने मासूमियत को तार-तार किया। फिल्म एक शक्तिशाली संदेश के साथ समाप्त होती है: "जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो कहां जाएंगी बेटियां? सब बड़े खुश हैं कि रावण मर गया, रावण खुश है कि वो सब में जिंदा है"।

​यह फिल्म बाल यौन शोषण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर गहरी चोट करती है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।

​आप यह फिल्म इस लिंक पर देख सकते हैं:



Created On :   23 Sept 2025 12:22 AM IST

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