एक्टर्स विद एशियन फीचर्स चिंकी सुनने से बेहतर : लुकराम स्मिल
- एक्टर्स विद एशियन फीचर्स चिंकी सुनने से बेहतर : लुकराम स्मिल
मुंबई, 16 जुलाई (आईएएनएस)। डिजिटल फिल्म पेनल्टी में मुख्य अभिनेता का किरदार निभाने वाले अभिनेता लुकराम स्मिल का कहना है कि नस्लवाद की भावना भारत में भी लोगों के दिमाग में इतनी गहराई से समाई हुई है कि काफी लंबे समय तक पूर्वोत्तर के अभिनेताओं को सीमित अवसरों का सामना करना पड़ा है और वे इस सिंड्रोम के शिकार बने रहे हैं।
ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के सकारात्मक पक्ष की बात करते हुए लुकराम ने कहा कि अब चिंकी या चीनीयों जैसा दिखने वाले कहने के बजाय कास्टिंग निर्देशक उन्हें एक्टर्स विद एशियन फीचर्स कहते हैं।
लुकराम ने आईएएनएस को बताया, मुझे लगता है कि सोशल मीडिया सक्रियतावाद ने कम से कम इस पर बातचीत शुरू कर दी है। अब से एक साल पहले तक, पूर्वोत्तर से ताल्लुक रखने वाले हम जैसे लोगों को जब कास्टिंग निर्देशक कॉल करते थे, तो वे कहते थे कि हम आपका ऑडिशन लेंगे क्योंकि हमें किसी चाइनीज या नेपाली जैसे दिखने वाले किरदार की जरूरत है। ऐसा सुनकर काफी बुरा लगता था। ऑडिशन देने या कभी-कभार उससे पहले ही हमारे संघर्ष और रिजेक्शन की शुरूआत हो जाती थी और ऐसा हमारे लुक के चलते होता था। मेरा कहना है कि हमें चीनी जैसा दिखने वाले बताकर वे कहना क्या चाहते हैं? क्या हम भारतीय नहीं दिखते हैं? हमारे लिए अलग किरदार को लिखने की बात भूल जाइए, हमारे समाज में लोगों के दिमाग में नस्लवाद की भावना इस हद तक अंतर्निहित है कि वे हमारे चेहरे को भारतीयों में शामिल ही नहीं करते हैं! यह कितना अपमानजनक है इसे हम जैसे लोग ही समझ सकते हैं, जिन्होंने इसका सामना किया है।
उन्होंने आगे कहा, हालांकि हाल के दिनों में कास्टिंग निर्देशकों से आने वाले कॉल में हमने कुछ बदलाव देखा है। अब कलाकारों को एशियन फीचर्स, नॉर्थ ईस्टर्न इत्यादि कहकर बुलाया जाता है। मेरे ख्याल से यह हमें नेपाली, चाइनीज और सबसे खराब चिंकी बुलाए जाने से तो बेहतर ही है।
शुभम सिंह द्वारा निर्देशित पेनल्टी में केके मेनन, शशांक अरोड़ा, मंजोत सिंह और बिजौ थंगजम हैं। पिछले साल सिनेमाघरों में रिलीज किए जाने के बाद यह फिलहाल ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है।
Created On :   16 July 2020 12:30 PM IST