..जब बेटे की मौत के गम में गजल सम्राट जगजीत सिंह ने छोड़ दी थी गायकी

Gajal singer jagjit Singh gave up singing after death of his son
..जब बेटे की मौत के गम में गजल सम्राट जगजीत सिंह ने छोड़ दी थी गायकी
..जब बेटे की मौत के गम में गजल सम्राट जगजीत सिंह ने छोड़ दी थी गायकी

डिजिटल डेस्क,भोपाल। जब-जब गजलों की बात होती है तो सबसे पहले जगजीत सिंह का नाम जहन में आता है। जगजीत सिंह ने गजल गायकी में अपनी ऐसी पहचान बनाई कि उन्हें गजल सम्राट के नाम से ख्याति हासिल हुई। उनकी गजलें दर्द और प्रेम को बेहतरीन तरीके से बयां करतीं हैं, शायद इसलिए इन्हें आज भी हर उम्र के लोग पसंद करते हैं। जगजीत सिंह खुद प्रेम के बंधन से इस तरह बंध गए थे कि उन्होंने जमाने की परवाह किए बिना अपनी ही स्टूडेंट से शादी करली थी। आज जगजीत सिंह की पुणयतिथि है। 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह इस दुनिया को छोड़ गए। उन्हें गुजरे हुए 7 साल हो गए हैं, लेकिन वो अपनी बेहतरीन गजलों के जरिए सभी दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। 2003 में जगजीत सिंह को कला के क्षेत्र मे दिए अपने योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

पत्नी चित्रा सिंह के साथ गाते थे गजलें

-"वो कागज की कश्ती", "झुकी झुकी सी नजर", "होंठों से छू लो तुम" ये जगजीत सिंह वो बेहतरीन गजले हैं जिन्हें सदाबहार कहा जाता है। इस तरह की सैकड़ों गजलें गाने वाले जगजीत की दर्द से भरी आवाज की वजह से गजल गायकी में दूसरा कोई उनका सानी नहीं है। 

-जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था और उनका असली नाम जगमोहन सिंह धीमन था। 1970 और 1980 के दशक में उन्होंने अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ एक से एक बेहतरीन गजलें गाईं और देश-विदेश में अपनी आवाज का डंका बजाया।

-चित्रा सिंह और जगजीत सिंह की मुलाकात एक रेडियो एड की रिकॉर्डिंग के दौरान हुई थी। हालांकि जगजीत सिंह की भारी आवाज की वजह से ने चित्रा ने पहले तो उनके साथ गाने से ही मना कर दिया था। इस तरह दोस्ती हुई और फिर ये दोस्ती शादी में तब्दील हो गई।

बेटे के गम में छोड़ दी थी गायकी

-1990 में एक ट्रेजडी ने दोनों को एकदम खामोश कर दिया। जगजीत और चित्रा के बेटे विवेक का कार हादसे में निधन हो गया। इस वजह से जगजीत सिंह छह महीने तक एकदम खामोश हो गए जबकि चित्रा सिंह इस हादसे से कभी उबर नहीं पाईं और उन्होंने गायकी छोड़ दी, लेकिन जगजीत ने कुछ समय बाद खुद को संभाला और इस हादसे के बाद गाई गईं उनकी गजलों में बेटे को खो देने का दर्द साफ झलकता था।

-चिट्ठी ना कोई संदेश...ये गजल खास उन्होंने अपने बेटे को समर्पित की थी।

-जगजीत की गजलों ने न सिर्फ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इजाफा किया बल्कि गालिब, मीर, मजाज, जोश और फफिराक जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। 

स्मृति में जारी  किए गए  दो डाक टिकट

-जगजीत सिंह को सन 2003 में भारत सरकार ने उन्हें कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया। फरवरी 2014 में आपके सम्मान और स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किए गए।  

-जगजीत सिंह ने अपनी शुरुआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में पूरी की। बाद में वो पढ़ने के लिए जालंधर आ गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। 

-ज्यादातर युवाओं की तरह जगजीत जी का पहला प्यार भी परवान नहीं चढ़ सका था। अपने पहले प्यार को याद करते हुए उन्होंने कहा था कि, "एक लड़की को चाहा था। जालंधर में पढ़ाई के दौरान साइकिल पर ही आना-जाना होता था। लड़की के घर के सामने साइकिल की चैन टूटने या हवा निकालने का बहाना कर बैठ जाते और उसे देखा करते थे।बाद मे यही सिलसिला बाइक के साथ जारी रहा। 

पढ़ाई में नहीं थी दिलचस्पी

-जगजीत सिंह पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं थी। उनके कुछ क्लास मे तो दो-दो साल गुजारे। वो जालंधर में ही डीएवी कॉलेज के दिनों गर्ल्स कॉलेज के आसपास बहुत फटकते थे। एक बार अपनी चचेरी बहन की शादी में जमी महिला मंडली की बैठक में जाकर गीत गाने लगे थे। पूछे जाने पर कहते हैं कि सिंगर नहीं होते तो धोबी होते। 

-पिता के इजाजजत के बगैर फिल्में देखना और टॉकीज में गेट कीपर को घूस देकर हॉल में घुसना उनकी आदत थी।

-जगजीत सिंह को चित्रा सिंह से प्यार हुआ तब चित्रा सिंह पहले से शादीशुदा थीं, हालांकि वो अपने पति से अलग रहती थीं और डिवोर्स की बात चल रही थी। जगजीत सिंह ने जब चित्रा सिंह को अपने मन की बात बताई तब चित्रा ने उन्हें कहा कि वो पहले से शादीशुदा हैं, तब जगजीत सिंह उनके पूर्व पति के पास गए और उनसे कहा कि वो उनकी बीवी चित्रा सिंह से शादी करना चाहते हैं।

मिर्जा गालिब एल्बम ने रच दिया था इतिहास

-शायर और फिल्मकार गुलजार के सीरियल "मिर्जा गालिब" से भी जगजीत का बहुत नाम हुआ।

-जगजीत के सामने चुनौती ये थी कि तलत महमूद से लेकर लता मंगेशकर, बेगम अख्तर, मेंहदी हसन और सुरैया तक ने गालिब को गाया है। ऐसे में उनको उन सब से अलग होना था। जगजीत ने इस एलबम के साथ इतिहास रच दिया।

-1999 में जब जगजीत पाकिस्तान गए तो वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के घर पर भी गए। वहां दोनों ने साथ-साथ पंजाबी गीत गाए और मुशर्रफ ने उनके साथ तबला भी बजाया।

-पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी जगजीत सिंह के दीवाने थे। एक बार उन्होंने जगजीत और चित्रा को अपने घर बुलाया था और इस बात को स्वीकार किया था कि उनका परिवार उनके अलावा और किसी का संगीत नहीं सुनता।

जगजीत के लिए ढाई घंटे हवा उड़ाती रही थी फ्लाइट 

-जगजीत सिंह की गायकी की दीवानगी लोगों में इतनी थी कि एक बार जब जगजीत इस्लामाबाद से दिल्ली आ रहे थे तो विमान के कर्मचारियों ने ढाई घंटे तक विमान को हवा में रखा था ताकि उन्हें जगजीत के साथ अधिक से अधिक समय बिताने का मौका मिल सके।

-जावेद अख्तर ने जगजीत सिंह के बारे में कहा था कि वो गजल गायकी में भारतीय उप महाद्वीप के आखिरी स्तंभ थे। उनकी आवाज में एक "चैन" था। पहली बार जावेद ने उनको अमिताभ बच्चन के घर पर सुना था।

-गजल के बादशाह कहे जानेवाले जगजीत सिंह का 10 अक्टूबर 2011 की सुबह 8 बजे मुंबई में देहांत हो गया। उन्हें ब्रेन हैमरेज होने के कारण 23 सितम्बर को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। ब्रेन हैमरेज होने के बाद जगजीत सिंह की सर्जरी की गई, बावजूद इसके उन्हें बचाया नहीं जा सका।

-जिस दिन उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ, उस दिन वे सुप्रसिद्ध गजल गायक गुलाम अली के साथ एक शो की तैयारी कर रहे थे। 

Created On :   10 Oct 2017 12:23 PM IST

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