फिल्मों का ओटीटी पर रिलीज किया जाना समाधान नहीं : मकरंद देशपांडे
नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)। भारतीय फिल्म व थिएटर अभिनेता व निर्देशक मकरंद देशपांडे का मानना है कि कोरोनाकाल में सिनेमाघरों के बजाय मुख्य धारा की फिल्मों को ओटीटी पर रिलीज किया जाना कोई समाधान नहीं है क्योंकि हर फिल्म के लिए ओटीटी के सफर को तय करना बस की बात नहीं है।
अभिनेता ने कहा, इस महामारी ने फिल्म इंडस्ट्री को बुरी तरह से प्रभावित किया है क्योंकि यह कोई पंद्रह दिनों का खामियाजा नहीं है बल्कि यह वक्त अनिश्चित है। वैक्सीन के न आने तक हम सभी के दिमाग में डर बरकरार रहने वाला है। चूंकि दर्शक फिल्म देखने नहीं जा रहे हैं इसलिए फिल्मों को ओटीटी पर रिलीज किया जा रहा है। मुझे नहीं लगता है कि हर फिल्म के लिए ओटीटी का रूख करना संभव नहीं है क्योंकि इसका खर्च वहन कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। फिल्मों का ओटीटी पर रिलीज होना कोई समाधान नहीं है। यह थोड़े समय के लिए है, जैसे कि अगर कोई तैयार है या किसी का पैसा फंसा हुआ है या अगर किसी को लगता है कि अगले छह से नौ महीने तक के लिए वे अपनी फिल्म को रिलीज नहीं कर सकते हैं, तब ये नुस्खा काम आ सकता है। फिल्मों का सिनेमाघरों में रिलीज होना आवश्यक है। कुछ परंपराएं बनी रहनी चाहिए।
वह आगे कहते हैं, इंडस्ट्री काफी बुरी तरीके से प्रभावित हुई है और मैं सरकार से इसे मदद मिलने की उम्मीद कर रहा हूं क्योंकि अगर किसी फिल्म को देखने तीस या पचास प्रतिशत दर्शक जाते हैं, तो मुझे नहीं लगता है कि थिएटर के मालिक के लिए इसका खर्च वहन कर पाना संभव होगा। अगर टिकट के पैसे बढ़ा दिए जाते हैं, तो दर्शकों पर यह महंगा पड़ जाएगा। यानि कि कुल मिलाकर चीजों में वैक्सीन के न आने तक कम से कम एक साल तक के लिए बदलाव आया है।
Created On :   12 Jun 2020 2:00 PM IST