कुछ ऐसे थे बॉलीवुड के ये स्टार चाइल्ड आर्टिस्ट
डिजिटल डेस्क, मुबंई। बॉलीवुड में शुरुआती दौर की फिल्म में तीन लोग जरूर होते थे, हीरो, हीरोइन और विलेन के बिना फिल्में अधूरी होती थीं। लेकिन उन दिनों की फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट भी होते थे, जो खूब किए जाते था। उस दौर में कुछ ऐसे चाइल्ड आर्टिस्ट थे, जिनका लगभग हर दूसरी फिल्म में दिख जाना आम होता था। आज उनके नाम तक किसी को याद नहीं होंगे। आज हम हम उन्हीं चाल्ड आर्टिस्ट के बारे में बताएंगे, जिन्हें हम और बॉलीवुड भूल गए हैं।
मास्टर सत्यजीत
मास्टर सत्यजीत ने 4 साल की उम्र में 1966 में "मेरे लाल" से फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा। इसके बाद इस नन्हें से बच्चे ने "वापस, खिलौना, अनुराग, हरी दर्शन, विदाई और पहेली" जैसी फ़िल्मों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाया।
मास्टर राजू
फ़िल्म "अमर प्रेम" का वो बच्चा, तो आपको याद ही होगा, जो बिना किसी वजह अकसर रोता हुआ दिखाई देता था। इस बच्चे का नाम मास्टर राजू था, जो "अभिमान, बावर्ची" समेत कई फ़िल्मों में काम कर चुका था। मास्टर राजू को "चितचोर" और "किताब" के लिए दो बार चाइल्ड आर्टिस्ट के नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
मास्टर बिट्टू
मास्टर बिट्टू का असली नाम विशाल देसाई है, जो 70 के दशक में कई बॉलीवुड फ़िल्मों में अपनी एक्टिंग के जौहर दिखा चुके हैं। इन फ़िल्मों में "चुपके-चुपके, अमर अकबर एंथनी, मिस्टर नटवरलाल, दो और दो पांच" का नाम शामिल है।
मास्टर अलंकार
70 के दशक में एक और मासूम चेहरे ने काफ़ी वाहवाही लूटी थी। इस मासूम से चेहरे वाले शख़्स का नाम मास्टर अलंकार था। अलंकार "ड्रीम गर्ल, डॉन, शोले, सीता और गीता, अंदाज़, बचपन, दीवार, ज़मीर" जैसी फ़िल्मों में काम कर चुके हैं।
बेबी गुड्डू
बेबी गुड्डू के नाम से फ़िल्मों में काम करने वाली इस बच्ची का नाम शहींदा बैग था। शहींदा बैग 70 और 80 के दशक में एक पॉपुलर चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर पहचानी जाती थीं। शहींदा ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1974 में "पाप और पुण्य" से की थी। इसके बाद शहींदा "कुदरत का कानून, प्यार का मंदिर, शूरवीर, घर घर की कहानी, गंगा तेरे देश में" और जुर्म जैसी फिल्मों में भी नज़र आई।
बेबी फ़रीदा
60 के दशक में कई बॉलीवुड फ़िल्मों में काम कर चुकी बेबी फ़रीदा को आज लोग फ़रीदा दादी के रूप में पहचानते हैं।उन्होंने "दोस्ती, राम और श्याम, संगम, जब जब फूल खिले, फूल और पत्थर" जैसी फ़िल्मों में काम किया।
जुगल हंसराज
1983 में आई फ़िल्म "मासूम" से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत करने वाले जुगल हंसराज "कर्मा" और "सल्तनत" जैसी फ़िल्मों में भी दिखाई दिए। इसके एक दशक बाद लोगों ने जुगल को एक बार फिर बड़े पर्दे पर देखा, पर इस बार वो बड़े हो चुके थे। "मोहब्बतें, कभी ख़ुशी कभी ग़म और सलाम नमस्ते" के बाद जुगल ने निर्देशन में हाथ आजमाया और अपनी पहली ही फ़िल्म "Roadside Romeo" के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता।
Created On :   27 July 2017 12:28 PM IST