Soorma Movie Review: सूरमा में देखने को मिली इश्क और हॉकी की जुगलबंदी 

Soorma Movie Review: सूरमा में देखने को मिली इश्क और हॉकी की जुगलबंदी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फिल्मी दुनिया में आजकल बायोपिक का ट्रेंड चल पड़ा है। कुछ दिनों पहले फिल्म अभिनेता संजय दत्त के जीवन पर आधारित फिल्म "संजू" रिलीज हुई थी जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। वहीं इस शुक्रवार को भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म "सूरमा" बड़े पर्दे पर रिलीज की गई है। जिसे देखने दर्शक भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। तो चलिए जानते हैं दर्शकों को कैसी लगी दिलजीत की "सूरमा"?

फिल्म : सूरमा
डायरेक्टर : शाद अली
स्टार कास्ट : दिलजीत दोसांझ, तापसी पन्नू, अंगद बेदी, विजय राज, सतीश कौशिक, कुलभूषण खरबंदा 
जोनर : बायोपिक 
अवधि : 2 घंटा 10 मिनट 
रेटिंग : 4 स्टार

 


निर्देशक परिचय

फिल्म "सूरमा" को निर्देशक शाद अली ने निर्देशित किया है। शाद अली ने अपने करियर की शुरुआत मणिरत्नक की फिल्म "दिल से" में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की थी। उन्होंने हिंदी सिनेमा में बतौर निर्देशक यशराज बैनर की फिल्म "साथिया", "बंटी और बबली", "किल दिल" और "ओके जानू" जैसी फिल्मों को निर्देशित किया। शाद अली अब दर्शकों के बीच फिल्म "सूरमा" लेकर आए हैं जो कि हॉकी प्लेयर संदीप सिंह की कहानी है।

 


कहानी

"सूरमा" की कहानी अर्जुन पुरस्कार विजेता एक ऐसे सूरमा की है जिसकी प्रतिभा को उसका बड़ा भाई खेतों में पहचानता है और वो प्रतिभा है ड्रैग फ्लिक। संदीप ने 145.5 किलोमीटर की गति से ड्रैग फ्लिक कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। फिल्म हॉकी प्लेयर संदीप सिंह के जीवन पर आधारित है जिसमें उनके परिवार, प्यार और खेल से जुड़ी सारी सच्चाई दर्शायी गई है। फिल्म के फर्स्ट हाफ में संदीप सिंह के प्लेयर बनने की कहानी दिखाई गई है तो वहीं सेकेंड हाफ में उनके एक्सिडेंट के बाद संघर्षपूर्ण जीवन को दिखाया गया है और उसके बाद उनका दोबारा हॉकी खेलना। इस कहानी को दर्शकों के बीच लाना लाजमी है जिसे निर्देशक शाद अली ने अच्छे से दिखाया है।

 


निर्देशन और पटकथा

इस फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बेहद शानदार है। फिल्म में गांव के दृश्य दिखाए गए हैं। कहानी की रफ्तार अच्छी है। बायोपिक होने के बावजूद फिल्म को मनोरंजक रखने की कोशिश की गई है। जिसके लिए खास किरदार है एक कोच का जिसे विजय राज ने निभाया है। फिल्म की पटकथा और कई डायलॉग्स अच्छे हैं। संदीप सिंह की भूमिका को दिलजीत दोसांझ ने विश्वसनीय तरीके से निभाया है।

 


अभिनय और संगीत

फिल्म के अभिनय में सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। फिल्म में सभी की एक्टिंग लाजवाब है। संदीप सिंह के किरदार में दिलजीत दोसांझ की मासूमियत मनोरंजक लगती है। तापसी की एक्टिंग ने भी प्रेमिका और खिलाड़ी के रूप में प्रभावित किया है। बाकी के भी सभी किरदारों ने फिल्म को जीवंत करने में अपना-अपना अहम योगदान दिया है। बात की जाए फिल्म के संगीत की तो इसका म्यूजिक दिया है शंकर-एहसान-लॉय ने और गीत लिखे हैं गुलजार ने। कहानी के साथ-साथ ही इसका संगीत भी चलता है। सीन के हिसाब से गानों को रखना फिल्म को मनोरंजक बनाता है। 

Created On :   14 July 2018 8:24 AM GMT

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