फिल्म 'गंगूबाई' की सुनवाई करते हुए जस्टिस नें बताई दर्द भरी कहानी, भावुक होते हुए कहा याद करके आज भी कंपकपी छूट जाती है

While listening to the film Gangubai, Justice told a painful story, while getting emotional
फिल्म 'गंगूबाई' की सुनवाई करते हुए जस्टिस नें बताई दर्द भरी कहानी, भावुक होते हुए कहा याद करके आज भी कंपकपी छूट जाती है
बॉलीवुड फिल्म 'गंगूबाई' की सुनवाई करते हुए जस्टिस नें बताई दर्द भरी कहानी, भावुक होते हुए कहा याद करके आज भी कंपकपी छूट जाती है

डिजिटल डेस्क,मुंबई। फिल्म "गंगूबाई काठियावाड़ी" की कहानी एक पीड़ित महिला के आत्मविश्वास व उनकी हिम्मत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से बताई जा रही है। इस फिल्म की रिलीज डेट 25 फरवरी बताई जा रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस फिल्म की रोक की अपील की गई है। इस अपील की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस नें एक 14 वर्षीय लड़की की आपबीती दर्द भरी घटना बताई, जिसे सुनकर पूरे कोर्ट में सन्नाटा छा गया। कहानी सुनाती भावुक जस्टिस ने कहा कि उस घटना को सोंचकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 

जस्टिस नें बताया कि कुछ वर्षों पहले मुझे एक जालसाज में फंसी लड़की की आपबीती के बारे में पता चला जिसने उनको झझकोर कर रख दिया। उन्होने बताया कि एक 14 वर्षीय बेसहाय लड़की जिसके परिवार में कोई नही था, दो वक्त का खाना भी उसे काफी मु़श्किल से मिल पाता था। उसकी देखभाल लड़की के पड़ोस की एक महिला किया करती थी। कुछ दिनों के पश्चात् उसकी चाची ने लड़की को नौकरी के साथ-साथ सारी सुविधा का लालच देकर मुंबई बुला लिया। चाची के यह जाल वह समझ न पाई और वह मुंबई चली गई।

वहां जाने के बाद उस बेसहाय को देंह व्यापार के नरकीय जीवन में झोंक दिया गया। कई दिनों तक उस लड़की का शारीरिक शोषण किया गया। एक रात उस लड़की के साथ कई लोगों के द्वारा असुरक्षित रेप किया गया। वह नाबालिक लड़की रोती, बिलकती रही पर किसी को भी उस पर दया न आई और उस पर लगातार शारीरिक शोषण किया गया। इस रात के भोगे नरक के कारण वह लड़की HIV का शिकार हो गई। कुछ दिनों बाद एक रात लड़की के पास आए एक युवक को उसकी हालत देख उस पर दया आ गई और उसने लड़की को उस नर्क से निकाल कर NGO के हवाले कर दिया। इस मामले के खुलासे के बाद मामले पर जम कर आवाज उठाई गई। इस मामले का मीडिया ने भी जमकर समर्थन किया। 

इस दर्द भरी घटना को सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की महिला जस्टिस इंदिरा बैनर्जी भी भावुक हो उठीं। उन्होने कहा कि उस बेबश् की कहानी जब भी याद आती है तो मेरी कंपकंपी छूट जाती है। इस घटना को सुनते हुए पूरे कोर्ट में सन्नाटा छाया गया। घटना सुनने के बाद भंसाली प्रोडक्शन्स की ओर से दलील दे रहे सीनियर एडवोकेट अर्यमा सुंदरम ने फिल्म का पक्ष लेते हुए कहा कि, माइ लेडीशिप! यह मामला उस घटना से काफी भिन्न है। फिल्म "गंगूबाई काठियावाड़ी" की कहानी एक पीड़ित महिला के आत्मविश्वास व उनकी हिम्मत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से बताई जा रही है। सबके जहन में उतर चुकी वह घटना अदालत की कार्यवाही खत्म होने के बाद भी लोगो और वकीलों के चर्चा का विषय बनी रही। 

Created On :   24 Feb 2022 4:48 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story