मस्जिद और चर्च को छोड़ केवल मंदिरों से टैक्स वसूलने का दावा बेबुनियाद, जानिए पूरा मामला

Fake news: The claim of collecting tax only from temples except mosques and churches is baseless
मस्जिद और चर्च को छोड़ केवल मंदिरों से टैक्स वसूलने का दावा बेबुनियाद, जानिए पूरा मामला
फेक न्यूज मस्जिद और चर्च को छोड़ केवल मंदिरों से टैक्स वसूलने का दावा बेबुनियाद, जानिए पूरा मामला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर एक बार फिर से यह दावा किया जा रहा है कि टैक्स केवल मंदिरों को देना पड़ता है, मस्जिद और चर्च को नहीं। इसके कारण काफी लोग सरकार की भी आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार धर्म के आधार पर टैक्स वसूल रही है। इस तरह के दावे सोशल मीडिया पर आज से नहीं बल्कि 2017 से किए जा रहे हैं। 26 सितंबर को यूट्यूबर एल्विस यादव ने ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि भारत में जहां सबको धार्मिक स्वतंत्रता है वहां सिर्फ हिंदू के मंदिरों से ही क्यों टैक्स लिया जाता है। 

इस तरह कई सारे लोगों ने इस ट्वीट का समर्थन करते हुए रीट्वीट किया। फे़सबुक पर लोगों ने इसी दावे के साथ पोस्ट शेयर की। देखते ही देखते यह फिर से वायरल होने लगी। जैसा की हम सभी जानते हैं कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हर पोस्ट सच नहीं होती, तो आईए जानते हैं कि क्या है वायरल हो रहे इस मामले का सच। 

राकेश टिकैत ने मीडिया को दी धमकी! जानें वायरल वीडियो का सच 

ये है सच्चाई
इस मामले को वायरल होते देख वित्त मंत्रालय ने 3 जुलाई 2017 को ट्वीट कर इस झूठ से पर्दाफाश किया था। वित्त मंत्रालय द्वारा ट्वीट में लिखा गया था कि सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट भ्रमक हैं जो यह दावा कर रहे हैं कि टैक्स केवल मंदिरों को देना होता है मस्जिदों और चर्च को नहीं। ट्वीट में यह भी लिखा गया कि यह बातें असत्य हैं क्योंकि धर्म के आधार पर ऐसा कोई कानून नहीं बना है जैसा सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है। वित्त मंत्रालय के ट्वीट में लोगों से अनुरोध भी किया गया है, कि इस तरह के भ्रमक मैसेज सरक्युलेट ना करें। 

कुछ मुस्लिम ट्रस्ट से संपर्क करने पर पता चला कि वो देश में लागू किये गए नए टैक्स कानूनों का पालन कर रहे हैं और उन्हें GST सर्टिफ़िकेट्स भी मिल चुके हैं। कोई भी संस्था जिसकी वार्षिक आय 40 लाख से ज़्यादा हो (विशेष राज्यों में यह 20 लाख से ज़्यादा हो), तो उन्हें खुद को GST के तहत रजिस्टर करवाना होगा। 

अफगानिस्तान में ईसाईयों को नायलॉन की थैलियों में बंद किया, जानिए क्या है सच्चाई ?  

इनकम टैक्स एक्ट के तहत रजिस्टर की गई संस्था को ही टैक्स में छूट मिल सकती है। सरकार ने ट्रस्ट द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की एक लिस्ट भी जारी की थी, जिसमें शामिल सेवाएं अगर कोई ट्रस्ट देता हो तो ही वो GST सर्टिफ़िकेट ले सकता है। लिस्ट में शामिल सेवाओं में धार्मिक समारोह का आयोजन तथा धार्मिक परिसर को किराये पर देना शामिल है। धार्मिक और चैरिटी ट्रस्ट को लेकर दिए गए प्रावधानों में यह साफ़-साफ़ कहा गया है कि सभी धर्मों की धार्मिक गतिविधियों में छूट दी जाएगी। 

निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर देखा जाए तो सोशल मीडिया पर धर्म के आधार पर सिर्फ मंदिरों से टैक्स वसूलने का दावा फर्जी है। सभी धर्मों के लिए सरकार के समान नियम हैं। 

Created On :   2 Oct 2021 11:36 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story