कोरोना काल में कव्वालों का बुरा हाल

The bad condition of qawwals in the Corona era
कोरोना काल में कव्वालों का बुरा हाल
कोरोना काल में कव्वालों का बुरा हाल

नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। कोरोना के चलते परेशानियों का सामना कर रहे कव्वालों और उनके साथ काम करने वाले कलाकारों पर कोरोना का बहुत बुरा असर पड़ा है। हालांकि कव्वालों का ये भी कहना है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को कलाकरों के बारे में सोचना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए।

दरअसल कव्वालों के साथ अन्य कलाकार भी काम करते हैं। लेकिन कोरोना की वजह से करीब 6 महीने से सभी कव्वाल और उनके साथ काम करने वाले कलाकरों के पास घर बैठने के अलावा कुछ नहीं। वहीं कव्वालों का कहना है कि कुछ कलाकार मजदूरी करने पर भी मजबूर हो गए हैं। कव्वालों का कहना है कि सरकार ने सहयोग नहीं दिया तो कव्वालों की विरासत खत्म हो जायेगी।

दिल्ली निवासी मशहूर कव्वाल यूसुफ खान निजामी ने आईएएनएस को बताया, 7 साल की उम्र से हम कव्वाली कर रहें है। कई देशों में प्रोग्राम भी किये। हमारे ग्रुप में 10 लोग हैं। कोरोना की वजह से हालात खराब हैं, कव्वाल ही नहीं बल्कि जितने अन्य आर्टिस्ट हैं, उनपर बहुत बुरा असर पड़ा है।

हिंदुस्तान के जिस सूबे में जाएंगे वहां कव्वाल मिलेंगे और कव्वालों को महीने में 4 प्रोग्राम भी मिल जाते हैं और कभी एक भी नहीं।

हमने 29 फरवरी को आखिरी प्रोग्राम किया था, उसके बाद से घर पर बैठे हुए हैं। दिल्ली में बहुत कव्वाल हैं। हालांकि कुछ कलाकर ऐसे भी हैं जो रोजी रोटी चलाने के लिए अन्य ग्रुपों के साथ भी काम करते हैं।

राजस्थान के सरवाड अजमेर शरीफ से साबरी सूफी ब्रदर्स ग्रुप ने आईएएनएस को बताया, हमारे घर में 800 सालों से कव्वाली हो रही है। 24वीं पीढ़ी है, पीढ़ी दर पीढ़ी कव्वाली कर रहें है।

एमएसके/एएनएम

Created On :   28 Aug 2020 7:00 PM IST

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