भारत में होने वाली G20 सम्मेलन से पहले चीन के राष्ट्रपति ने बदला रूख, सामने आया जर्मन चांसलर का रिएक्शन

भारत में होने वाली G20 सम्मेलन से पहले चीन के राष्ट्रपति ने बदला रूख, सामने आया जर्मन चांसलर का रिएक्शन
चीन के राष्ट्रपति पर बरसे जर्मन चांसलर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में सितंबर महीने में शुरू होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। 9 सितंबर से दिल्ली में शुरू होने वाली इस अंतराष्ट्रीय बैठक में रूस और चीन के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग शामिल नहीं होंगे। वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जी 20 समिट में शामिल ना होने की सूचना चीन के भारतीय राजनयिक और जी 20 समिट के एक अधिकारी ने साझा की है। उन्होंने बताया कि भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित जी20 सम्मेलन में चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग बीजिंग राष्ट्रपति जिनपिंग का नेतृत्व कर सकते हैं।

'जिंनपिंग की अनुपस्थिति नहीं पड़ेगा फर्क'

अब सवाल ये उठता है कि भारत में आयोजित जी20 समिट में राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बैठक में आखिर क्यों शामिल नहीं होना चाहते हैं? क्या जिनपिंग भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर जी20 समिट से पीछे हट गए हैं? राष्ट्रपति जिनपिंग के समिट में गैरहाजिरी को लेकर जर्मन की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और चांसलर ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जी20 सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति की अनुपस्थिति से समिट में कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, यह सम्मेलन रूस और चीन के राष्ट्रपति की अनुपस्थिति से भी कई ज्यादा महत्वपूर्ण है। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने यह बात शुक्रवार को देर रात जर्मन रेडियो स्टेशन में दिए एक इंटरव्यू में कहा। इस दौरान उन्होंने बताया कि भारत में आयोजित जी20 सम्मेलन दोनों ही देशों के राष्ट्रपति की अनुपस्थिति के बावजूद यह बैठक काफी ज्यादा खास है।

चांसलर ने बताया कितना महत्वपूर्ण है जी20 बैठक

आगामी जी20 सम्मेलन के बार में बताते हुए जर्मन चांसलर ने कहा कि इस साल जी20 शिखर सम्मेलन को अभी एक अहम भूमिका निभानी होगी, जिसे पूरा करना एक बड़ी जिम्मेदारी साबित हो सकती है। मुख्य रूप से देखा जाए तो ब्रिक्स में शामिल ब्राजील, रूस , भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की अर्थव्यवस्था का महत्व सामूहिक रूप से कई अधिक बढ़ रहा है। इसके अलावा जर्मनी के चांसलर ने यह भी कहा कि औपनिवेशिक के इतिहास से जुड़े देशों की ये जिम्मेदारी बनती हैं कि वे पूर्व में उपनिवेशों की प्रगति को बेहतर करें।

उन्होंने आगे बताया कि पहले के अपनिवेशों के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और प्रसंस्करण को आसान करने की सलाह भी दी। हालांकि, जर्मन चांसलर ने इसे एक निष्पक्ष साझेदारी भी करार दिया।

Created On :   2 Sep 2023 1:15 PM GMT

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