भारत-कनाडा विवाद: कनाडा है आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना, भारत से पहले हमारे ऊपर भी लगा चुका है झूठे आरोप, श्रीलंका ने जस्टिन ट्रूडो को लगाई लताड़

कनाडा है आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना, भारत से पहले हमारे ऊपर भी लगा चुका है झूठे आरोप, श्रीलंका ने जस्टिन ट्रूडो को लगाई लताड़
  • भारत-कनाडा विवाद श्रीलंका का रुख आया सामने
  • भारत पर लगाए कनाडा के आरोपों को बताया गलत
  • कहा - आतंकियों को मिलती है कनाडा में शरण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत का आरोप भारत पर लगाने वाले कनाडा पर अब श्रीलंका ने भी सवाल उठाए हैं। इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए श्रीलंका ने कहा है कि कनाडा आतंकियों का पनाहगार है। वहां आतंकियों को शरण दी जाती है। साथ ही भारत पर बेतूका आरोप लगाने वाले कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को भी श्रीलंका ने जमकर लताड़ लगाई है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा है कि 'ट्रूडो ने बिना किसी सबूत के भारत पर आरोप लगाए हैं। सच तो यह है कि कनाडा में कुछ आंतकवादियों को शरण मिली हुई है।' उन्होंने कहा, 'वो यह देखकर जरा भी हैरान नहीं हुए हैं, क्योंकि ट्रूडो हमारे साथ भी पहले ऐसा कर चुके हैं।'

श्रीलंका के विदेश मंत्री ने बताया, 'कनाडा के पीएम ने पर भी बेबुनियाद बयान देते हुए कहा था कि श्रीलंका में नरसंहार हुआ है, जबकि सभी जानते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।' अली सबरी ने आगे कहा, मैंने कल देखा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजियों से जुड़े एक शख्स का स्वागत करने के लिए ट्रूडो गए थे। ऐसे में यह सब संदिग्ध है और हम पहले इसका सामना कर चुके हैं। कनाडा के पीएम कई बार अपमानजनक आरोपों के साथ सामने आते हैं, जिनका कोई आधार नहीं होता है।

श्रीलंका पर ट्रूडो ने दिया था ये बयान

अली सबरी ने ट्रूडो के जिस बयान का जिक्र करते हुए उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था वह उन्होंने इसी साल मई में श्रीलंकाई गृह युद्ध की 14वीं वर्षी पर दिया था। दरअसल, ट्रूडो ने कहा था कि गृहयुद्ध के दौरान हजारों तमिलों ने अपनी जान गंवाई थी, कई लापता और हजारों घायल हुए थे। कनाडा के पीएम ने कहा था कि इसमें मुलिवाइकल में हुआ नरसंहार भी शामिल था। ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा की संसद ने सर्वसम्मति से 18 मई के दिन को तमिल नरसंहार स्मृति दिवस घोषित करने के प्रस्ताव को पारित किया था।

कनाडाई पीएम के इस बयान का श्रीलंका ने विरोध किया था। उसने इसे अपमानजनक और बेतुका बताते हुए कहा था कि किसी भी दूसरे देश के मामले में दखल नहीं देना चाहिए। साथ ही उसे ये भी न बताने की हिमाकत करनी चाहिए कि देश को कैसे चलाया जाए।

Created On :   26 Sep 2023 7:00 AM GMT

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