जर्मनी पर छाया आर्थिक मंदी का संकट, अमेरिका के बाद यह देश भी आर्थिक मंदी के कगार पर

जर्मनी पर छाया आर्थिक मंदी का संकट, अमेरिका के बाद यह देश भी आर्थिक मंदी के कगार पर
  • जर्मनी पर छाया आर्थिक संकट का बादल
  • अमेरिका के बाद जर्मनी की भी चरमराई अर्थव्यवस्था
  • दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है जर्मनी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर के देशों पर आर्थिक मंदी का संकट छाया हुआ है। अब इसकी चपेट में दुनिया की 5वीं और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी भी आ चुका है। यहां पर भी जरूरी सामानों की कीमतों में तेजी से उछाल देखने को मिल रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल के शुरुआती तिमाही में जर्मनी की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई है। गुरुवार को संघीय सांख्यिकी कार्यालय (federal statistics office) ने एक आंकड़ा जारी किया। जिसके मुताबिक जनवरी से मार्च तक यानी पहली तिमाही में जर्मनी की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

वहीं 2022 के आखिरी तिमाही की बात करें तो उस समय जर्मनी की जीडीपी में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी। ऐसे में इन दोनों तिमाही में जर्मनी की अर्थव्यवस्था में गिरावट आना आर्थिक मंदी की ओर इशारा करता है। इस आंकड़े से जर्मनी की सरकार टेंशन में है। पिछले माह की ही बात है जब जर्मनी सरकार ने इस साल होने वाले अपने वृद्धि दर के अनुमान को दोगुना होने की बात कही थी। साथ ही सरकार ने अंदेशा जताया था कि देश की अर्थव्यवस्था में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलेगा और उन्होंने जनवरी में वहीं की अर्थव्यस्था 0.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था। अर्थशास्त्रियों की माने तो देश में ऊंची मुद्रास्फीति से उपभोक्ता खर्च प्रभावित हुआ है। अप्रैल माह में वहां पर जितनी मंहगाई थी वह एक सालों की तुलना में 7.2 फीसदी ऊंची हैं।

जर्मनी में अर्थिक संकट से दुनिया को होगा नुकसान

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, इस साल के पहले तिमाही में यहां पर घरेलू खर्च में 1.2 फीसदी का गिरावट आ गई है। आलम यह है कि जर्मनी के लोग अब भोजन और कपड़े जैसी रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजों पर भी कंजूसी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पिछली तिमाही में वहां पर सरकारी खर्च में भी 4.9 फीसदी की गिरवट देखी गई है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसी आधार पर क्रय में गिरावट, औधोगिक मांग कमी, ब्याज दरों का बढ़ाना और अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश पर आर्थिक संकट के काले बादल छाना, यह सभी घटनाएं यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश जर्मनी को तबाह कर सकता है। इन सभी कारणों के चलते न केवल वहां पर मंदी आएगी बल्कि आर्थिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचने का अनुमान है। हालांकि अर्थशास्त्री लोगों ने दूसरे तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई है। जोकि जर्मनी और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के लोगों की क्रय में गिरावट, इंडस्ट्रियल ऑर्डर बुकिंग में कमी, आक्रामक मौद्रिक नीति का सख्ती से पालन और अमेरिकी अर्थव्यस्था मे आर्थिक मंदी के संकट ने जर्मनी की अर्थव्यवस्था में मंदी लाने का काम किया है। इसी कदर चलता रहा तो पूरी दुनिया में वैश्विक मंदी आ सकती है।

रूस-यूक्रेन युद्ध कितना प्रभावी

जर्मनी की अर्थव्यवस्था में गिरावट के पीछे एक बड़ा कारण रूस-यूक्रेन का युद्ध है। जर्मनी एक बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया है और इस वक्त पूरे यूरोप में ईंधन संकट छाया हुआ है। बता दें कि पूरे यूरोप ने रुस से कच्चे तेलों और खाने-पीने जैसी अन्य चीजों के आयात पर रोक लगा दिया था। इसी के चलते यूरोप में जर्मनी समेत अन्य देशों में महंगाई चरम पर पहुंच गई है। यूक्रेन यूरोप में बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थ भेजता था। लेकिन युद्ध के चलते वहां की भी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। यूक्रेन इस क्षेत्र में गेहू का सबसे बड़ा निर्यातक था। लेकिन युद्ध के चलते यह सब भी समाप्त हो चुका है। शायद यही वजह है कि इस साल मार्च तिमाही में जर्मनी के उपभोग में 1.2 फीसदी की गिरवाट आई है।

संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जपान के बाद जर्मनी दुनिया की चौथी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में यदि जर्मनी को आर्थिक रूप से झटका लगता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलेगा। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि यह देश दुनिया का तीसरा सबसे निर्यातक है। देश की अर्थव्यस्था में सबसे बड़ा योगदान यहां की सर्विस सेक्टर का है, जो 70 फीसदी के करीब है। हालांकि देश के लिए अच्छी बात यह है कि श्रम बाजार अभी भी स्थिर स्थिति में बना हुआ है।

Created On :   25 May 2023 12:57 PM GMT

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