1971 सैन्य नहीं बल्कि राजनीतिक विफलता थी: पाक सेना प्रमुख

1971 was a political failure, not military: Pak Army Chief
1971 सैन्य नहीं बल्कि राजनीतिक विफलता थी: पाक सेना प्रमुख
पाकिस्ता 1971 सैन्य नहीं बल्कि राजनीतिक विफलता थी: पाक सेना प्रमुख
हाईलाइट
  • 1971 एक सैन्य नहीं
  • बल्कि एक राजनीतिक विफलता

डिजिटल डेस्क, रावलपिंडी। पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल कमर जावेद बाजवा ने बुधवार को कहा कि पूर्वी पाकिस्तान की पराजय सैन्य नहीं बल्कि राजनीतिक विफलता है। मीडिया ने बुधवार को यह जानकारी दी। एआरवाई न्यूज ने बताया कि अपने संबोधन के दौरान इतिहास पर बात करते हुए निवर्तमान सेना प्रमुख ने कहा कि वह 1971 की घटनाओं के बारे में कुछ तथ्यों को सही करना चाहते हैं। सीओएएस ने कहा, 1971 एक सैन्य नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विफलता थी। हमारी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी।

जनरल बाजवा ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि सशस्त्र बलों का मूल काम भौगोलिक सीमाओं की रक्षा करना है। जियो न्यूज ने बताया उन्होंने कहा कि, कोई भी पार्टी पाकिस्तान को मौजूदा आर्थिक संकट से बाहर नहीं निकाल सकती है। ऐसी गलतियों से सबक सीखना चाहिए ताकि देश आगे बढ़ सके। सीओएएस ने आगे कहा कि असहिष्णुता के माहौल को खत्म करके पाकिस्तान में एक सच्ची लोकतांत्रिक संस्कृति को अपनाना होगा।

उन्होंने कहा- 2018 में आरटीएस का बहाना बनाकर जीतने वाली पार्टी को सेलेक्टेड बता दिया। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए जाने के बाद एक पक्ष ने दूसरे पक्ष को आयातित करार दिया। हमें इस रवैये को खारिज करने की जरूरत है, जीतना और हारना राजनीति का एक हिस्सा है और सभी दलों को अपनी हार या जीत को स्वीकार करने का साहस होना चाहिए।

डॉन की खबर के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा है कि सेना ने रेचन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और उम्मीद है कि राजनीतिक दल भी इसका पालन करेंगे और अपने व्यवहार पर विचार करेंगे। बाजवा ने रक्षा दिवस समारोह में कहा, यह वास्तविकता है कि राजनीतिक दलों और नागरिक समाज सहित हर संस्था से गलतियां हुई हैं।

अपने भाषण के अंत में, उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक मामलों पर कुछ शब्द कहना चाहते हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि दुनिया भर में सेनाओं की शायद ही कभी आलोचना की जाती हो लेकिन हमारी सेना की अक्सर आलोचना की जाती है। मुझे लगता है कि इसका कारण राजनीति में सेना की भागीदारी है। इसीलिए फरवरी में सेना ने राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया।

उन्होंने कहा- कई क्षेत्रों ने सेना की आलोचना की और अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया, सेना की आलोचना करना राजनीतिक पार्टियों और लोगों का अधिकार है, लेकिन जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया वह गलत है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल बाजवा ने कहा कि झूठी कहानी गढ़ी गई, जिससे अब भागने की कोशिश की जा रही है। जनरल बाजवा ने अपने भाषण की शुरूआत में कहा, आज मैं आखिरी बार सेना प्रमुख के रूप में रक्षा और शहीद दिवस को संबोधित कर रहा हूं। मैं जल्द ही सेवानिवृत्त हो रहा हूं।

(आईएएनएस)

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Created On :   23 Nov 2022 2:30 PM GMT

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